रूफटॉप सोलर से उपभोक्ताओं तक जानकारी पहुंचाने के लिए दून में सौर समृद्ध उत्तराखंड अभियान के तहत होगा दो दिवसीय सौर कौथिग

देहरादून

रूफटॉप सोलर से राज्य के स्वस्छ ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में प्रयासों को बल मिलेगा जिसके लिए उपभोक्ताओं तक प्रत्यक्ष जानकारी पहुंचाने के लिए 16 और 17 दिसंबर को रेंजर्स ग्राउंड, देहरादून में सौर समृद्ध उत्तराखंड अभियान के तहत सौर कौथिग का आयोजन किया जा रहा है।

भारत नेट-जीरो लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है।

इस दिशा में 2030 तक नॉन-फॉसिल फ्यूल माध्यम से 500 गीगावाट बिजली उत्पादन करने और कार्बन सघनता में 50 प्रतिशत कटौती का लक्ष्य है।

इनमें से 100 गीगावॉट बिजली सोलर से उत्पादित करने का लक्ष्य है, जिसमें रूफटॉप सोलर 30 गीगावाट है।

अब तक रूफटॉप सोलर के तहत 11 गीगावाट क्षमता स्थापित की जा सकी है।

तो इसी राष्ट्रीय लक्ष्य में उत्तराखंड भी अपना योगदान बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।

सौर कौथिग के बारे में बात करने से पहले बता दें कि उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां दूसरे राज्यों की तुलना में अलग हैं।

एक पहाड़ी राज्य होने के नाते यहां पर यूटिलिटी स्केल के सोलर के लिए जमीन की उपलब्धता चुनौतीपूर्ण है। यहां के लिए रूफटॉप सोलर सबसे उपयुक्त है, जिससे लोगों की घरों की छत का इस्तेमाल करके सौर ऊर्जा का दोहन किया जा सकता है।

प्रदेश सरकार ने सौर ऊर्जा नीति 2023 में इस महत्व को समझा है।

सौर ऊर्जा नीति 2023 में 2027 तक 1400 मेगावाट वितरित सोलर क्षमता पाने का लक्ष्य रखा गया है।

इसमें से आवासीय क्षेत्र में 250 मेगावाट, व्यवसायिक और औद्योगिक क्षेत्र में 750 मेगाबाट, संस्थागत क्षेत्र में 350 मेगावाट, कृषि क्षेत्र में 50 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता लगाने और 300 गांवों को सौर संपन्न बनाने का लक्ष्य है।

रूफटॉप सोलर पर पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत केंद्र की सब्सिडी के अलावा उत्तराखण्ड मरकार अलग से सब्सिडी दे रही है।

तीन किलोवॉट तक के सोलर सिस्टम पर केंद्र से 85 हजार 800 रुपये, जबकि राज्य सरकार से 51 हजार रुपये सब्सिडी मिलती है।

शासन ने प्रदेश में सोलर वेंडर की उपलब्धता को बढ़ाने का काम किया है। पूरे प्रदेश में आवासीय क्षेत्र के लिए मान्यता प्राप्त वेंडर की संख्या भी बढ़कर 365 हो गई है।

हमने नेट-मीटरिंग की व्यवस्था को सरल बनाया है, 10 किलोवाट से कम क्षमता के सोलर सिस्टम को तकनीकी व्यवहार्यता आकलन से बाहर रखा गया है।

अब बात करते हैं कि सौर कौथिगः यह क्यों आयोजित किया जा रहा है और इसका क्या मकसद है,इसके माध्यम से प्रदेशवासियों को सौर ऊर्जा के लाभों और योजनाओं से परिचित कराना और इससे ज्यादा से ज्यादा संख्या में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है, क्योंकि रूफटॉप सोलर को अपनाने में जनजागरूकता बहुत अहम भूमिका निभाती है।

रूफटॉप सोलर से उपभोक्ताओं का बिजली बिल घटेगा और राज्य के स्वस्छ ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में प्रयासों को बल मिलेगा।

लोगों तक प्रत्यक्ष जानकारी पहुंचाने के लिए 16 और 17 दिसंबर को रेंजर्स ग्राउंड, देहरादून में सौर समृद्ध उत्तराखंड अभियान के तहत सौर कौथिग का आयोजन किया जा रहा है।

यह दो दिवसीय सौर मेला सुबह 10 बजे से रात नौ बजे तक चलेगा।

इस सौर कौथिग के माध्यम से रूफटॉप सोलर से जुड़े सभी हितधारकों को एक स्थान पर लाया गया है।

इसमें पीएम सूर्य घर योजना के तहत सोलर सिस्टम लगाने की सारी जानकारी मिलेगी, जिसमें एक करोड़ घरों को करने का लक्ष्य

सोलराइज

सौर कौथिग में आगंतुकों को सोलर वेंडर्स से सिस्टम को लगाने और बैंकों से वित्तपोषण विकल्पों के बारे में लेने मौका का आमने-सामने जानकारी मिलेगा। यहां पर ग्राहकों को रूफटॉप सोलर के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराने की भी सुविधा मिलेगी।

मौर कौथिग में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना और सोलर हीटर से जुड़ी जानकारियां भी दी जाएंगी।

इस सौर कौथिग के साथ हम जन-जागरूकता के लिए कई नए प्रयास भी शुरू करने जा रहे हैं।

16 दिसंबर को मुख्यमंत्री इस सौर कौथिग के साथ जनजागरूकता के लिए सोलर बैन और म्यूरल आर्ट का उद्घाटन करेंगे।

सौर कौथिग में प्रमुख विषयों पर परिचर्चा, रूफटॉप सोलर के यूर्जस के साथ बातचीत, स्कूल आर्ट और कॉलेज स्टार्टअप उत्तराखंड कंपटीशन साथ अन्य कार्यक्रम भी रखे गए हैं। इन प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा।

मांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भी सौर ऊर्जा की तरफ लोगों का ध्यान खींचने का प्रयास किया जाएगा। सौर कौथिग के दोनों दिन शाम में प्रदेश के जान-माने कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करेंगे और सौर ऊर्जा को अपनाने की अपील करेंगे।

जन-जागरूकता के अब तक के प्रयासों से हमें काफी सफलता मिली है।

राज्य ने पिछले सात महीनों में उल्लेखनीय प्रगति की है। आवासीय सोलर खंड में 23 मेगावाट से अधिक की सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित हो चुकी है।

पॉलिसी रिसर्च थिंक टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड बॉटर (सीईईडब्ल्यू) के अध्ययन के अनुसार, उत्तराखंड में लगभग एक गीगावाट सौर ऊर्जा लगाने की आर्थिक क्षमता मौजूद है। सीईईडब्ल्यू नॉलेज पार्टनर के रूप में इस सौर कौथिग के आयोजन में सहायता कर रहा है। उम्मीद है कि नए प्रयासों से इसमें और तेजी आएगी।

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