आज भोजन व्यवस्था बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही,बिना पारंपरिक कृषि पद्धति के भी भोजन को फैक्ट्री आधारित तेज प्रणाली और पोषण स्तर को बनाए रखा जा सकता है…प्रो.पारिख – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

आज भोजन व्यवस्था बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही,बिना पारंपरिक कृषि पद्धति के भी भोजन को फैक्ट्री आधारित तेज प्रणाली और पोषण स्तर को बनाए रखा जा सकता है…प्रो.पारिख

देहरादून/ हल्द्वानी

बुधवार को उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी के गृह विज्ञान विभाग (स्वास्थ्य विज्ञान विद्याशाखा) द्वारा “Next Generation of Future Food and Science Behind Traditional Food System” विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के सेमिनार हॉल में किया गया, जिसमें विषय विशेषज्ञों एवं शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी रही।

कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो० ओ० पी० एस० नेगी, मुख्य अतिथि प्रो० सुनील पारीक (डीन, स्नातकोत्तर अध्ययन एवं निदेशक, आईक्यूएसी, निफ्टेम, कुंडली, हरियाणा) तथा अन्य विशिष्ट अतिथियों के आगमन के साथ हुआ।

इसके उपरांत दीप प्रज्वलन, विश्वविद्यालय कुलगीत और अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान किया गया।

निदेशक स्वास्थ्य विज्ञान विद्याशाखा प्रो० जीतेन्द्र पांडे द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया। मैनेजमेंट में प्रोफेसर डा. मंजरी अग्रवाल के मुख्य अतिथि का परिचय देने के बाद व्याख्यान सत्र प्रारंभ हुआ।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो० सुनील पारीक ने बताया कि आधुनिक समय में भोजन की पूरी व्यवस्था एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। अब बिना किसी पारंपरिक कृषि पद्धति के भी भोजन को फैक्ट्री आधारित प्रणाली द्वारा तैयार किया जा सकता है। यह प्रक्रिया न केवल तेज़ है, बल्कि इसमें पोषण के स्तर को बनाए रखना भी संभव होता है।

प्रो. पारीक ने सरकार की फूड फोर्टिफिकेशन नीति पर भी प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), आंगनवाड़ी केंद्रों और स्कूलों में दिए जाने वाले भोजन में फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ (जैसे आयरन, फोलिक एसिड व विटामिन-बी 12 युक्त चावल, गेहूं आदि) को ही शामिल किया जाएगा। इससे कुपोषण से लड़ने और पोषण स्तर सुधारने में मदद मिल रही है।

व्याख्यान में ग्रीन टी के नैनो रूप (Nano Green Tea), इडेबल वाटर बॉटल, और प्लांट बेस्ड मीट जैसे इनोवेटिव फूड आइडियाज़ पर भी विस्तार से चर्चा की गई। बताया गया कि किस तरह वैज्ञानिक शोधों के अनुसार 52,000 से अधिक पौधों की प्रजातियों का अध्ययन कर उनके पोषण और औषधीय गुणों को पहचाना गया है, जो भविष्य के वैकल्पिक खाद्य स्रोत बन सकते हैं।

वीगन आबादी में बढ़ती रुचि को ध्यान में रखते हुए यह भी कहा गया कि मांसाहार से शाकाहार की ओर बढ़ता झुकाव न केवल जानवरों की हत्या को कम करेगा, बल्कि यह पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा। इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आएगी।

तकनीक की भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रो. सुनील पारीक ने बताया कि अब रेस्त्रां में रोबोट द्वारा भोजन तैयार किया जा रहा है और ड्रोन द्वारा उसकी डिलीवरी की जा रही है। अमेरिका जैसे देशों में श्रम की कमी के चलते यह ट्रेंड पहले से ही सक्रिय है, वहीं भारत में भी ब्लिंकिट जैसे प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से कुछ ही मिनटों में भोजन उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जा रहा है।इस व्याख्यान के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि पारंपरिक भोजन प्रणाली को नकारे बिना, हम उसे विज्ञान और तकनीक के साथ जोड़कर एक सतत, पोषणयुक्त और नवाचारी भविष्य की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो.ओपीएस नेगी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के तहत अलग अलग संकाय बनाए जाएंगे जिसमें पारंपरिक भोजन पर भी काम करने की जरूरत है जिससे उत्तराखंड के लोकल खाने को अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलायी जा सके।

कार्यक्रम का समापन कुलसचिव खेमराज भट्ट द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन गृह विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. दीपिका वर्मा ने किया। कार्यक्रम में प्रीति बोरा, मोनिका दिवेदी, पूजा भट्ट, ज्योति जोशी, समेत सभी विभागों के प्रोफेसर्स मौजूद रहे।

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