देहरादून
डा. रावत ने कहा राज्य सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में किये जा रहे नवाचार व प्रयास देश में एक नये माॅडल तैयार की स्थापना कर रहे हैं।
इस सम्मेलन में देश भर से लगभग 57 विश्वविद्यालयों, 120 उत्तराखंड की राजकीय महाविद्यालय , तथा देहरादून से आये विभिन्न निजी विश्वविद्यालयों ने प्रतिभाग किया।
सम्मेलन का शुभारंभ दून विश्वविद्यालय के डा. नित्यानंद सभागार में मंचासीन अथिति उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत, कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, प्रमुख वैज्ञानिक, सी ई आर एन, जिनेवा, डा. अर्चना शर्मा, विद्याभारती उच्च शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. कैलाश चंद्र शर्मा द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इस दौरान विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा मंगल गीत प्रस्तुत किया गया।
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.सुरेखा डंगवाल ने पूरे भारत वर्ष से आऐ शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों एंव प्रबुद्ध जनों का इस सम्मेलन में प्रतिभाग करने के लिए धन्यवाद किया तथा आशा जताई कि इस सम्मेलन में होने वाले विचार मंथन से आने वाले भविष्य के लिए शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा के आधार पर विकसित भारत 2040 में अपनी सकारात्मक भूमिका निश्चित करे। उन्होंने औद्योगिक और अकादमिक संस्थानों के बीच सहयोग, कौशल आधारित, जीवंत परिसर, महाविद्यालय के कार्य करने की स्वायत्ता, प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस और पाठ्यक्रम को वैश्विक आधार पर बनाने का सुझाव भी दिया।
इस कड़ी में विद्याभारती उच्च शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. कैलाश चंद्र शर्मा ने देश में होने वाले अनुसंधान के भारत केंद्रीय होने पर ज़ोर देते हुए कहा कि उच्च शिक्षा में परिवर्तन को गति देना अति अनिवार्य है। हमें पूरे भारत वर्ष में ऐसे संस्थागत नेतृत्व को तराशने की आवश्यकता है जो देश की सकारात्मक उन्नति में भागीदारी कर सकते हैं।
शुभारंभ समारोह की मुख्य रूप से सम्मिलित हुईं सी ई आर एन, जिनेवा में प्रमुख वैज्ञानिक डा. अर्चना शर्मा ने कहा कि इस दूरदर्शी सम्मेलन में भाग लेना उनके लिए सम्मान की बात है।
उन्होंने कहा भारतीय लोग विदेशों में कार्यरत होने के बाद भी अपने जड़ो से जुड़े हैं और हर क्षेत्र में देश का मान बढ़ा रहे हैं। उन्होंने समावेशी शिक्षा, साइंटिफिक टेम्परामेंट बढ़ाने और शिक्षण संस्थानों में समंनवय होने पर ज़ोर दिया ताकि एक बेहतर भविष्य का निर्माण हो सके। उन्होंने क्लासरूम के परे ऐसे संस्थागत ढांचे तैयार करने की बात कही जिससे कि इंडस्ट्री और अकादमिक जगत के मध्य समन्वय बन सके ।
अंतिम चरण में डा.राखी पंचोला ने शुभारंभ समारोह में आये देश और उत्तराखंड राज्य से आए सभी शिक्षाविदों एंव प्रबुद्ध जनों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस समारोह में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति,प्रो शिवराज सिंह, प्रो अखिलेश मिश्र तथा विद्याभारती उच्च शिक्षा संस्थान उत्तराखण्ड के पदाधिकारी प्रो जगमोहन सिंह राणा, प्रो राज कुमारी चौहान भंडारी, प्रो अंजु अग्रवाल, डा. दीपक पांडे दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री दुर्गेश डिमरी, प्रो आर पी ममगंई, प्रो. एच सी पुरोहित, डा स्वाति बिष्ट व अन्य शिक्षाविद सम्मिलित हुए।
पहली सत्र के बाद, नित्यानंद भवन में बारह समांतर सत्र विभिन्न स्थानों पर आयोजित किए गए। इन सत्रों के विषय और थीम बहुत विविध थे। एक सत्र ” एकरीडीटेशन ऑफ होलिस्टिक इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट ” पर आयोजित किया गया, जिसमें प्रमुख वक्ताओं के रूप में प्रोफेसर गणेशन कन्नबीरन, निदेशक नैक (NAAC)और प्रोफेसर पंकज अरोड़ा, अध्यक्ष एनसीटीई उपस्थित थे।
एक और सत्र “रीथिंकिंग पोजिशनिंग ऑफ एचईआईऐस” पर हुआ, जिसमे प्रोफेसर सुनीता सिंह, पूर्व कुलपति, नालंदा विश्वविद्यालय, प्रोफेसर शशिकला वंजारी, कुलपति, निपा, और प्रो संजय श्रीवास्तव, कुलपति, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, मोतिहारी ।
एक और दिलचस्प सत्र “भारत सैंट्रिक रीसर्च” पर था, जिसमें प्रमुख वक्ताओं ने विचार-विमर्श किया: डॉ. अर्चना शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक सी ई आर एन, डॉ. संजय मिश्रा, वरिष्ठ सलाहकार/वैज्ञानिक गृह मंत्रालय, भारत सरकार, प्रोफेसर बद्री नारायण तिवारी, निदेशक जीबीपीएसआई और प्रोफेसर धनंजय सिंह, सदस्य सचिव आईसीएसएसआर। चौथा समांतर सत्र तीन बजे फाॅस्ट्रिंग इनोवेशन: इंटिग्रेटिंग एकेडमिक विद एंटरप्रिन्योरशिप विषय पर था, जिसमें वक्ता के रूप में अभय जेरे, उपाध्यक्ष एईसीटीई और डॉ. टी. राजा मन्नार, कार्यकारी उपाध्यक्ष, सन फार्मास्यूटिकल्स उपस्थित थे।
अन्य सत्र जो 4:45 बजे से 6:00 बजे तक थे, उनके पहले सत्र का विषय था “डेवलपिंग रेसिलेंट एंड फ्यूचर रेडी कैंपसेस”, जिसमें प्रोफेसर दुर्गेश पंत, डी जी यूकॉस्ट, डॉ. मीना सिंह, निदेशक, एम्स ऋषिकेश और प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा ने अपने बहुमूल्य विचार साझा किए। दूसरे सत्र का विषय था “ट्रांसफॉर्मिंग ऑर कैंपसेस एस सस्टेनेबल एंड वाइब्रेंट”, जिसमें प्रोफेसर सुरेखा दांगवाल, कुलपति, दून विश्वविद्यालय, प्रोफेसर वेंकप्पैया आर देसाई, निदेशक, IIT-धारवाड़ कर्नाटका, और प्रोफेसर जयकर शेट्टी, कुलपति, बैंगलोर विश्वविद्यालय ने प्रासंगिक और गहन चर्चा की। तीसरे समानांतर सत्र में “रीमेजिनिंग द करिकुलम: द एलओसीएफ(Learning outcome based Curriculum Framework) पर चर्चा की गई, जिसमें प्रोफेसर के बी दास, कुलपति, झारखंड विश्वविद्यालय, प्रोफेसर सुषमा यादव, उपकुलपति, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा और प्रोफेसर आदित्य त्रिवेदी, ऋषिहुड विश्वविद्यालय ने भाग लिया। एक सत्र “इंडस्ट्री अकादमियां कोलैबोरेशन पर भी हुआ, जिसमें डॉ. अनुपव सैनी, अध्यक्ष, आर एंड डी, पिडिलाइट इंडस्ट्रीज, डॉ. शिशिर सिन्हा, डी जी, सी आई ई पी टी और प्रो. मुनिम कुमार बराई, निदेशक, आर सी ए पी एस, जापान ने अपने विचार साझा किए।
अंतिम सत्र जो 6:30-7:30 बजे के मध्य था, जिसमें सभी ने अपने विचार साझा किए कैम्पस कम्यूनिटी सिनर्जी: बिल्डिंग कोलैबोरेटिव फ्यूचर्स, इग्नाइटिंग इनोवेटि: एक्सपेरिमेंटेशन फॉर ट्रांसफॉर्मेटिव इंपैक्ट, सेलिब्रेटिंग डायवर्सिटी: हार्नेसिंग इंक्लूजन फॉर हॉलिस्टिक ग्रोथ और एनईपी-2020 इन एक्शन: स्ट्रेटर्जिज एंड मॉडल फॉर सक्सेस।
दो दिन चलने वाले इस कार्यक्रम के माध्यम से दुनिया भर से आये विद्वान और विषय-विशेषज्ञ अपने अनुभव एनसआईएल के मंच के माध्यम से साँझा करेंगे ।प्रत्येक वर्ष शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले इस अद्वितीय आयोजन के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नवाचार और नये प्रयोग भी एक दूसरे के साँझा होते है।