देहरादून
तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नन्दन बहुगुणा अतुल शर्मा के पिता महान स्वतंत्रता सेनानी एवं राष्ट्रीय धारा के प्रमुख कवि श्रीराम शर्मा प्रेम को देखने दून अस्पताल पहुचे जो कि प्राइवेट वार्ड मे भर्ती थे। उन्हे हृदय रोग के कारण एडमिट किया गया था। साथ मे उस समय मंत्री रहे कुलतार सिह ( शहीद भगतसिंह के भाई) भी उनके साथ थे। इनके साथ छात्र नेता विवेकानंद खंडूरी भी थे।
श्रीराम की देखभाल के लिए साथ में अतुल शर्मा थे।
अतुल शर्मा ने संस्मरण सुनाते हुए बताया कि वार्ड मे प्रवेश करने पर पहले तो हाल समाचार पूछे फिर उनकी नज़र उन किताबों पर पड़ी जो मेज पर रखी थीं। आदरणीय बहुगुणा जी ने बेहद आत्मिय भाव से कहा,,,, अरे शर्मा जी इतनी किताबे,,,, अभी मत पढिये,, तबीयत और बिगड़ जायेगी। इसपर पिताजी ने विनम्र भाव से कहा,ये नही पढूगा तो और बीमार पड़ जाऊंगा।
हल्की मुस्कान के बाद कई विषयों पर चर्चा हुई। फिर वे चलते हुए कहने लगे,,,,, अब समानता के लिए लड़ो मिल जायेगी,,,,,, बाद में यह कविवर प्रेम जी की प्रसिद्ध कविता की पंक्ति भी बनी ,,,,
तुम स्वतंत्रता के लिए लड़े मिल गयी तुम्हे अब समानता के लिए लड़ो मिल जायेगी) ।
यह कहकर वे बाहर निकल गये।
मुझे आज भी आश्चर्य होता है के देश के इतने बड़े नेता को कितना कुछ याद रहता है।
दूसरा संस्मरण सुनाते हुए जनकवि अतुल ने बताया कि एक बार पटेल रोड पर उन्होंने एक कविता संग्रह का विमोचन किया वहां कवि गोष्ठी भी हुई। संचालन मै कर रहा था।
लेकिन तब सब दंग रह गये जब उन्होंने कविवर पंत, प्रसाद, निराला जैसे कवियो की कविताये दोहराई। साहित्य पर उनकी इतनी गहरी पकड़ देखकर वातावरण साहित्य मय हो उठा और देर तक मौजूद साहित्य प्रेमी तालियां बजाते रहे।