देहरादून
पिछले काफी दिनों से गंभीर रूप से बीमार दिवाकर भट्ट का निधन हो गया। महंत इंदिरेश अस्पताल में उपचार चल रहा था, जहां से परिजन मंगलवार दोपहर उन्हें हरिद्वार स्थित घर ले गए। घर पहुंचने के कुछ देर बाद ही लगभग 4:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
उत्तराखंड राज्य निर्माता, उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के संरक्षक एवं पूर्व अध्यक्ष, उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में फील्डमार्शल के नाम से प्रख्यात एवं, देवप्रयाग से विधायक तथा 2007 से 2012 तक उत्तराखण्ड सरकार में स्वतंत्र मंत्री रहे। दिवाकर भट्ट 1979 में स्थापित उत्तराखंड क्रांति दल के संस्थापक सदस्य थे। वे 1968 में युवावस्था से ही वे राज्य प्राप्ति आंदोलन के लिए समर्पित हो गए थे। हरिद्वार बीएचईएल में कर्मचारी नेता के तौर पर सक्रिय रहे भट्ट का वन अधिनियम विरोधी आंदोलन के साथ ही कई सामाजिक राजनीतिक आंदोलनों में अहम योगदान रहा। वन अधिनियम विरोधी आंदोलन में वे लंबी जेल भी गए। कीर्तिनगर के पूर्व ब्लॉक प्रमुख दिवाकर भट्ट ने 1995 में श्रीनगर में श्रीयंत्र टापू आंदोलन का नेतृत्व किया। वे स्वयं टिहरी जिले के सबसे ऊंची चोटी खैट पर्वत और बाद में पौड़ी में भी आमरण अनशन पर बैठे। उनके खैट अनशन के बाद केंद्र ने वार्ता का न्योता दिया। उक्रांद के संरक्षक और राज्य आंदोलन के प्रमुख गांधीवादी नेता इंद्रमणि बडोनी ने उन्हें उत्तराखंड के फील्ड मार्शल की उपाधि दी थी।
राज्य स्थापना के बाद साल-2007 में भाजपा-उक्रांद की पहली गठबंधन सरकार में दिवाकर भट्ट राजस्व और आपदा प्रबंधन समेत कई विभागों के कैबिनेट मंत्री रहे। राज्य में खंडूरी सरकार के समय आए सख्त भू-कानून के पीछे बतौर राजस्व मंत्री दिवाकर भट्ट की अहम भूमिका रही।
प्रदेश के विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने उनके निधन पर श्रद्धांजलि व्यक्त की है और इसे राज्य के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।
परिजनों के अनुसार, स्व. दिवाकर भट्ट के पार्थिव शरीर का कल हरिद्वार में अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनकी अंतिम यात्रा बुधवार 26 नवंबर को लगभग 10:30 बजे उनके हरिद्वार निवास तरुण हिमालय निकट शिवलोक कालोनी से खड़खड़ी श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार हेतु रवाना होगी।