प्रदेश के पूर्व आईएएस सुशील कुमार ने संभाली राज्य चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी,त्रिस्तरीय पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर गति पकड़ेंगी तैयारियां – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

प्रदेश के पूर्व आईएएस सुशील कुमार ने संभाली राज्य चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी,त्रिस्तरीय पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर गति पकड़ेंगी तैयारियां

देहरादून

प्रदेश के पूर्व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुशील कुमार शर्मा को सरकार ने राज्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्त किया है। उत्तराखंड कैडर के 2005 बैच के सुशील कुमार बीते साल ही गढ़वाल आयुक्त के पद से रिटायर्ड हुए थे।

सचिव पंचायतीराज चंद्रेश यादव की ओर से गुरुवार को इस सम्बन्ध में आदेश जारी किए गए। आदेश जारी होने के बाद सुशील कुमार ने आयुक्त पद पर अपना कार्यभार संभाल लिया है। चंद्रशेखर भट्ट के रिटायर होने के बाद लगभग 8 माह से यह पद खाली पड़ा था।

सुशील कुमार ने उत्तराखंड में जनपद स्तर से लेकर मण्डलायुक्त तथा शासन में वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर अपनी दीर्घ सेवायें प्रदान की हैं, इनके दीर्घकालीन अनुभव के दृष्टिगत ही राज्य निर्वाचन आयुक्त जैसे सम्मानित के पद की जिम्मेदारी दी गई है। इनके प्रशासनिक एवं दीर्घ सेवाओं के अनुभवों से राज्य निर्वाचन अयोग को निर्वाचन कार्यों में गतिशीलता मिलेगी।

बृहस्पतिवार को आदेश जारी होने के कुछ ही समय बाद सुशील कुमार शर्मा ने यह पदभार ग्रहण कर लिया।

बताते चलें कि सुशील कुमार के पद ग्रहण करते ही सबसे बड़ी चुनौती यही है कि प्रदेश में शीघ्र ही निकाय व पंचायत चुनाव होने हैं जिनको लेकर हाईकोर्ट बार बार समय पर चुनाव कराने को लेकर चेताती रही है।

राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार उत्तराखंड कैडर 2005 बैच के IAS अधिकारी हैं। सुशील कुमार ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक और आईपी विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से MBA की शिक्षा ग्रहण की है।

सुशील कुमार ने अपने कार्यकाल के दौरान नगर आयुक्त देहरादून, जिला मजिस्ट्रेट पिथौरागढ़ और जिला मजिस्ट्रेट पौड़ी-गढ़वाल जैसे विभिन्न प्रतिष्ठित पदों के साथ ही उत्तराखंड के श्रम आयुक्त और गन्ना आयुक्त के पदों को भी सुशोभित किया है। इसके अलावा उन्होंने राज्य सरकार को राजस्व विभाग के सचिव के रुप में भी अपनी सेवा दी है। संभवतः अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर युद्धस्तर पर कार्य शुरू होंगे और सरकार को हाई कोर्ट के आदर्शो का पालन करने में राहत मिलेगी।

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