देहरादून
पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा की पत्नी व वरिष्ठ पत्रकार राजीवनयन बहुगुणा की माता विमला बहुगुणा का निधन हो गया है। उन्होंने 93 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।
उनके बेटे राजीव नयन बहुगुणा ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। विमला बहुगुणा का अपने पति सुंदरलाल बहुगुणा की तमाम आंदोलनों में खूब साथ रहा।
चिपको आंदोलन के प्रणेता सुन्दरलाल बहुगुणा का जन्म 9 जनवरी सन 1927 को उत्तराखंड के ‘मरोडा’ नामक स्थान पर हुआ। अपनी प्राथमिक शिक्षा के बाद वे लाहौर चले गए और वहीं से बीए किया। सन 1949 में मीराबेन व ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए तथा उनके लिए टिहरी में ठक्कर बाप्पा होस्टल की स्थापना भी की। दलितों को मन्दिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया।
अपनी पत्नी विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिलयारा में ही पर्वतीय नवजीवन मण्डल की स्थापना भी की। सन 1971 में शराब की दुकानों को खोलने से रोकने के लिए सुन्दरलाल बहुगुणा ने सोलह दिन तक अनशन किया। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए। बहुगुणा के ‘चिपको आन्दोलन’ का घोषवाक्य है-क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार।’ ‘मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार। सुन्दरलाल बहुगुणा के अनुसार पेड़ों को काटने की अपेक्षा उन्हें लगाना अति महत्वपूर्ण है। बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेण्ड ऑफ़ नेचर नामक संस्था ने 1980 में इनको पुरस्कृत भी किया। इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। पर्यावरण को स्थाई सम्पति माननेवाले ये महापुरुष पर्यावरण गाँधी कहलाते थे। 21 मई 2021 को 94 वर्ष की आयु में ऋषिकेश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में उनका निधन हो गया और आज उनकी पत्नी ने भी अंतिम सांस ली।