एक बड़े स्तम्भ माने जाने वाले ड़ॉ आर के वर्मा के देहांत से दून में शोक की लहर

देहरादून

 

देहरादून के एक बड़े स्तम्भ डॉ आर के वर्मा का शुक्रवार की सुबह 4 बजे देहांत हो गया।

 

एक प्रमुख समाजसेवी,वरिष्ठ पत्रकार,साहित्यकार,फिल्मकार,देहरादून को सजाने संवारने में अपना सहयोग देने वाले,रंगकर्मियों एवम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की आवाज़ उठाने वाले डा.आर के वर्मा के यूं चले जाने से दूनवासियों में शोक की लहर है।

1939 में जन्मे आर के वर्मा के बारे में उनके छोटे भाई अशोक वर्मा बताते हैं कि देश में जब पहली बार इमरजेंसी के दौरान भी खबरे छापने में पीछे नही हटे। तब देहरादून से कुछ ही समाचार पत्र प्रकाशित होते थे।

 

उत्तराखंड के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास, देहरादून के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास , फिल्मोग्राफी,नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंद फौज,मैजिक एवं मिस्टी, भूखे बिसरे गीत ,भूले बिसरे चेहरे, राजनीति के चुटकुले आदि प्रमुख पुस्तके डा आर के वर्मा ने लिखी जिन्हे देश दुनिया में सराहा गया ।

 

दैनिक नवजीवन, फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के जर्नल से भी डा वर्मा काफी समय तक जुड़े रहे ।

 

नागरिक परिषद की स्थापना के बाद डा आरके वर्मा ने उत्तराखंड राज्य में उत्थान एवं जनता की निस्वार्थ सेवा करने वाली विभूतियों को दून रत्न एवं उत्तराखंड रत्न से सम्मानित करने की शुरुआत की।

 

दून रत्न प्राप्त करने वालो में सतपाल महाराज,असलम खान,नित्यानंद स्वामी, एयर मार्शल दिलबाग सिंह,एयर वाइस मार्शल एच एल कपूर,सुंदर लाल बहुगुणा, करतार सिंह (शहिद भगत सिंह के भाई ),आर एस टोलिया, डा महेश कुरियाल, पद्म श्री डा आर के जैन, चेशायर होम ,देहरादून, सेवा धाम आदि अनेक विभूतियों का सम्मान किया ।

 

उत्तराखंड में सबसे पहले जर्नलिस्ट क्लब ,उत्तराखंड फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ,फिल्म फेस्टिवल कमेटी के जज ,देश दुनिया के समाचार पत्रों की प्रदर्शनी आदि डा वर्मा के प्रमुख क्षेत्र रहे ।

 

डा आर के वर्मा उत्तर प्रदेश फिल्म बोर्ड के सदस्य रहे एवम उत्तराखंड की फिल्म पॉलिसी समिति के संयोजक और उत्तराखंड के सहकारिता आंदोलन के जनक भी डा आर के वर्मा को कहा जाता है।

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