कोर्ट के आदेश के बाद रामदेव की दिव्य फार्मेसी को लगा बड़ा झटका,1 दर्जन से ज्यादा औषधियों के लाइसेंस निलंबित,निर्माण पर भी लगी रोक

देहरादून/हरिद्वार

सुप्रीम कोर्ट ने दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर लगाई गई फटकार के बाद उत्तराखंड के आयुर्वेद एवं यूनानी विभाग ने योगगुरु बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी व पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई की है।

विभाग के राज्य औषधि अनुज्ञापन अधिकारी ने दिव्य फार्मेसी व पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की 14 औषधियों के लाइसेंस निलंबित करते हुए निर्माण पर रोक लगा दी है।

इन दवाओं में ब्लड प्रेशर, मधुमेह, घेघा, ग्लूकोमा, उच्च कोलेस्ट्राल आदि की दवाएं शामिल हैं।

जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, हरिद्वार ने भ्रामक विज्ञापनों को लेकर दिव्य फार्मेसी व पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के विरुद्ध सीजेएम कोर्ट में वाद भी दायर किया है, जिसकी सुनवाई दस मई को होनी है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी इस मामले को लेकर याचिका दायर की हुई है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट

सुनवाई कर रहा है। आइएमए का तर्क है कि पतंजलि ने आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का भ्रामक दावा किया है। यह दावे ‘ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954’ और ‘कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019’ का सीधा उल्लंघन हैं।

बताते चलें कि श्वासारि गोल्ड, श्वासारि वटी, ब्रोन्कोम, श्वासारि प्रवाही, श्वासारि अवलेह, मुक्त वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधु ग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, लिवामृत एडवांस, लीवोरिट, पतंजलि दृष्टि आई ड्राप, आइग्रिट गोल्ड दवाइयों के लाइसेंस निलंबित किये गए हैं।

कोर्ट ने इस मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा था। वहीं, राज्य औषधि अनुज्ञापन अधिकारी को भी कड़ी फटकार लगाई। मामले में अगली सुनवाई मंगलवार को होनी है। कोर्ट के सख्त रुख के बाद अब राज्य का आयुर्वेद एवं यूनानी विभाग भी हरकत में आता दिख रहा है। एक ओर जहां रामदेव की फार्मेसी की 14 दवाओं के निर्माण पर रोक लगाई गई है, वहीं हरिद्वार के सीजेएम कोर्ट में भ्रामक विज्ञापनों को लेकर वाद भी दायर किया गया है। हालांकि समाचार एजेंसी रायटर्स के अनुसार, पतंजलि के प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी से इंकार किया है।

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