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एम्स की सोशल सेल सेवन प्लस ने लॉन्च की डेंगू की रोकथाम को अवेयरनेस बुक

देहरादून/ऋषिकेश


अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के सोशियल आउटरीच सेल की ओर से डेंगू की रोकथाम को लेकर कम्युनिटी में किए गए कार्यों पर आधारित “सेवन प्लस-आप सभी को डेंगू के बारे में जानने की जरूरत है” नामक पुस्तक का प्रकाशन किया गया है, जो कि जनभागीदारी से समुदाय से डेंगू मच्छरों की रोकथाम और उन्मूलन के लिए एक अभूतपूर्व समुदाय आधारित पहल है। बताया गया कि पुस्तक में डेंगू से मुक्ति के लिए दिए गए सुझावों से आमजन स्वास्थ्य की दृष्टि से इसका लाभ ले सकते हैं।
संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में पुस्तक का लोकार्पण करते हुए एम्स निदेशक और सीईओ पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने सेवन प्लस पुस्तक के लेखक डा. संतोष कुमार के द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यों पर तैयार किए गए उनके इस अभिनव प्रयास की सराहना की। डेंगू की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे सेवन प्लस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए की गई लगन व कड़ी मेहनत के लिए आउटरीच सेल की संपूर्ण टीम के प्रयासों को भी सराहा। एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत जी ने कहा कि रोगों के फैलने व महामारी का स्वरूप धारण करने से पूर्व ही इस तरह के काम को सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता करते हुए सामुदायिक स्तर पर करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
पुस्तक के बाबत संस्थान के सामुदायिक एवं परिवार चिकित्सा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर व एम्स आउटरीच सेल के नोडल ऑफिसर डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि यह पुस्तक डेंगू के विभिन्न पहलुओं पर एक पूर्ण और व्यापक दस्तावेज है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि डेंगू और अन्य मच्छरजनित बीमारियां एक सामाजिक समस्या हैं। जिनके निवारण के लिए समाज को स्वयं आगे आना होगा।

डेंगू बीमारी पर आधारित सेवन प्लस नाम की पुस्तक आमजन की भूमिका व बहुतायत जनसहभागिता पर जोर देती है, जिसमें हमारे गांवों के आम नागरिकों से लेकर ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य, स्वयंसेवक, आध्यात्मिक व राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोग, आशा कार्यकत्री, एएनएम, शिक्षण संस्थानों में कार्यरत ​प्राध्यापक व विद्यार्थी शामिल हैं। डेंगू जैसी वेक्टर जनित बीमारी की रोकथाम के लिए स्वच्छता का वातावरण, स्वच्छता को लेकर हमारे आचार व्यवहार और दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता है। यह रोल मॉडल स्थानीय आबादी का हिस्सा है, जो कि स्वास्थ्य कर्मियों की तुलना में समुदाय पर बहुत अधिक प्रभाव डालते हैं। उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर लोगों को ऐसे रोगों से बचाव के लिए जागरुकता के साथ आगे आने के लिए प्रेरित करने और एक अभिनव सामुहिक पहल लोगों को मच्छर जनित रोगों से बचाव का मूल मंत्र है।
गौरतलब है कि आजादी के बाद से हमारा देश संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने के लिए अपनी लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन इसके लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में भारी निवेश के बावजूद अपेक्षित परिवर्तन सामने नहीं आया है। हालांकि सरकारी स्तर पर इसके लिए संचार और गैर-संचारी रोगों की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर कार्यक्रम सततरूप से चल रहे हैं। ज्ञान का एक तरफा प्रवाह समुदाय में होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए काम नहीं कर सकता है, लिहाजा आमजन को वेक्टर जनित नियंत्रण जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सक्रियरूप से प्रतिभाग करने के लिए आगे आना चाहिए।

मोके पर बताया गया कि प्रकाशित पुस्तक प्रजनन स्थल, बुखार के मामलों और प्रभावी गहन जागरुकता आधारित कार्यक्रम की सक्रिय निगरानी की अवधारणा पर आधारित है। उन्होंने बताया कि एम्स की ओर से संचालित सात प्लस कार्यक्रम की अवधारणा सात दिनों में विकसित होने वाले डेंगू मच्छर के प्रजनन स्रोतों से लार्वा जीवन चक्र को समाप्त करने पर आधारित है। लिहाजा यह पुस्तक उन विभिन्न उपायों का अपने आप में एक संपूर्ण दस्तावेज है जो, एम्स संस्थान की सोशल आउटरीच टीम ने समुदाय के व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी के साथ हासिल किए और देश के विभिन्न हिस्सों में महामारी के अनुपात में पहुंचने से पहले डेंगू से निपटने के लिए यह कितना प्रभावी मॉडल हो सकता है। संकायाध्यक्ष एकेड़मिक प्रो. मनोज गुप्ता जी ने डेंगू के लिए इस सामुदायिक पहल की प्रशंसा की, साथ ही उन्होंने कैंसर और हृदय रोग जैसे गैर संचारी रोगों के लिए मजबूत सामुदायिक कार्यक्रमों की जरुरत पर जोर दिया।

कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना ने पुस्तक में उल्लिखित सटीक और सक्रिय टिप्पणी एवं सुझावों के साथ डेंगू के लिए आउटरीच कार्य की सराहना की। उन्होंने कहा कि पुस्तक के तौर पर आमजन के लिए यह एक आसान पठन सामग्री है और यह उन सभी के लिए अनुकूल है जो डेंगू के बारे में अधिक जिज्ञासा रखते हैं व इस जानलेवा बीमारी के विषय में जागरुकता बढ़ाना चाहते हैं। पुस्तक को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले संस्थान के सीनियर लाइब्रेरियन संदीप कुमार सिंह ने कहा कि यह निस्संदेह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो कि सामाजिक निहितार्थ के साथ मच्छरों के जन्म के खतरे के बारे में समग्र जानकारी प्रदान करती है। बताया गया है कि यह पुस्तक ऑनलाइन स्रोतों में उपलब्ध है। यह पहल उन कई प्रयासों के लिए एक आशाजनक उपक्रम है जिन्हें भारत के युवा प्राप्त करने का प्रयास कर सकते हैं।

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