एम्स ने किया चलने फिरने से असमर्थ 14 वर्षीय किशोर की रीढ़ की हड्डी में टीबी का सफल ऑपरेशन – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

एम्स ने किया चलने फिरने से असमर्थ 14 वर्षीय किशोर की रीढ़ की हड्डी में टीबी का सफल ऑपरेशन

एम्स में 14 वर्षीय किशोर के रीढ़ की हड्डी की टी.बी. का सफल ऑपरेशन -पैरों से चलने फिरने से असमर्थ हो गया था किशोर -संस्थान में कोरोनाकाल में भी जारी हैं आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के तंत्रिका शल्य चिकित्सा विभाग के चिकित्सकों द्वारा एक 14 साल के किशोर की रीढ़ की हड्डी की टी.बी. का सफलतापूर्वक जटिल ऑपरेशन किया गया। यह किशोर काफी समय से इस बीमारी से ग्रसित था व तीन सप्ताह से वह अपने पैरों से चल पाने में असमर्थ हो गया था । पूर्णरूप से स्वस्थ होने के बाद इस बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। चिकित्सकों के अनुसार ग्राम खारी, जिला बिजनौर, उत्तरप्रदेश निवासी 14 वर्षीय किशोर को चलने फिरने में दिक्कत की शिकायत के चलते परिजन उसे उपचार के लिए बीते माह 4 सितंबर-2020 को एम्स ऋषिकेश लाए थे, मरीज के पिता के मुताबिक वह इससे पूर्व सहारनपुर, बिजनौर व मुजफ्फरनगर के विभिन्न छोटे-बड़े अस्पतालों में किशोर की बीमारी की जांच करा चुके हैं। मगर कोरोनाकाल के चलते कई अस्पतालों ने मरीज का उपचार करने से इनकार कर दिया। विभिन्न अस्पतालों में उपचार नहीं मिल पाने व अनावश्यक विलंब के चलते मरीज को पिछले 3 महीने से कमर में दर्द की अत्यधिक शिकायत होने लगी और 15 दिन से मरीज के पैरों की ताकत कम होने लगी, जिससे वह चलने फिरने में असमर्थ हो गया था। एम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के चिकित्सकों द्वारा मरीज के परीक्षण के बाद उसका सी.टी. स्कैन व एम.आर.आई. की जांच की गई। रीढ़ की हड्डी में टी.बी. की बीमारी का पता चलने के बाद चिकित्सकों ने किशोर के ऑपरेशन का निर्णय लिया। जटिल सर्जरी के बाद उसकी मेरुदंड के ऊपर पड़े दबाव को हटाया गया। ऑपरेशन के एक सप्ताह बाद किशोर दोबारा से चलने फिरने लगा व उसके कमर के दर्द की शिकायत भी दूर हो गई। इस जटिल ऑपरेशन को प्रोफेसर राधेश्याम मित्तल व डा. रजनीश कुमार अरोड़ा ने किया है। एम्स निदेशक पद्मश्री रवि कांत ने इस सफलता के लिए चिकित्सकीय टीम की सराहना की है। उन्होंने बताया कि कोविड19 के चलते लॉकडाउन के बावजूद एम्स ऋषिकेश आवश्यक एवं आपातकालीन स्वस्थ्य सेवाएं सततरूप से जारी रखे हुए है। जिससे गंभीर मरीजों के जीवन को बचाया जा सके। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कोविडकाल में एम्स को कोरोना हायर सेंटर के तौर पर अधिकृत किया गया, बावजूद इसके अस्पताल में कोरोना नेगेटिव गंभीर मरीजों का उपचार सततरूप से जारी है। उन्होंने बताया कि संस्थान की अधिकांश मैनपावर चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ आदि के कोविड मरीजों की चिकित्सा व देखभाल में लगे होने के बावजूद संस्थान गंभीर मरीजों के उपचार को प्रमुखता दे रहा है। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत के अनुसार तंत्रिका शल्य चिकित्सा विभाग में दिमाग एवं रीढ़ की हड्डी से जुड़ी हर तरह की जटिल एवं गंभीर रोगों के इलाज की सुविधा उपलब्ध है। संस्थान जल्दी से ही हाईब्रिड ऑपरेशन थियेटर में इंट्रा ऑपरेटिव इमेजिंग की सुविधा को भी शुरू करने जा रहा है। यह सुविधा देश ही नहीं दुनियाभर में चुनिंदा अस्पतालों में ही उपलब्ध है। न्यूरो सर्जरी विभाग के डा. रजनीश कुमार अरोड़ा ने बताया कि इस बीमारी से किशोर की पीठ में कूबड़ निकलने लगा था एवं इस बीमारी से कंप्रेशन के कारण उसके यूरिन सिस्टम में दिक्कत होने लगी थी। किशोर को समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण उसके पैरों की ताकत हमेशा के लिए समाप्त हो जाती। इस ऑपरेशन में न्यूरो एनेस्थिसिया विभाग के प्रो. संजय अग्रवाल एवं डा. आशुतोष कौशल ने सहयोग किया।

उल्लेखनीय है कि कोरोनाकाल में भी तंत्रिका शल्य चिकित्सा विभाग के चिकित्सक मरीजों की जीवनरक्षा के लिए आवश्यक सर्जरी जारी रखे हुए हैं। लॉकडाउन प्रारंभ होने से अब तक लगभग सात महीनों में 150 से अधिक मरीजों की सफलतापूर्वक जटिल ऑपरेशन कर चुके हैं।

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