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देहरादून
हरिद्वार के खानपुर विधायक प्रंवसिंघ चैंपियन का राजनीतिक सफर हालांकि अठ्ठारह साल से ज्यादा का है विधायक रहते हुए अपने राजनीतिक करियर में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में रह चुके हैं ओर दमदार राजनीती करते रहे हैं। हमेशा सुर्खियों रहने वाले चैंपियन दोनों पार्टियो में रहकर विवादित भी होत रहे। कांग्रेस में भी पार्टी के लिए परेशानी का सबब बनते रहे। बस भाजपा में आकर यहां आकर भी कई कारनामे कर बैठे ओर पार्टी को इन पर एक्शन लेना ही पड़ा।
जबकि कांग्रेस में रहते हुए भी इन पर कई विवाद उठे लेकिन चैंपियन के खिलाफ कभी कोई कार्यवाही हो ही नहीं पाई।
बताते चलें कि विधायक प्रणव सिंह चैंपियन पर भाजपा विधायक कर्णवाल,पत्रकार से बदतमीजी,पिस्टल लहराने,उत्तराखण्ड के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी सहित कई मामले सामने आए पार्टी को फैसला लेना पड़ा और छः साल तक पार्टी से बाहर रहने का आदेश मिला।लेकिन अब प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद कुछ नए निर्णय सामने आए उनमें से एक चैंपियन की वापसी भी है।2002 में हरिद्वार के लक्सर से निर्दलीय विधायक बनने के बाद,2007 ओर 2912 का चूनाव कांग्रेस के सिम्बल पर लड़ा जबकि 2008 में लक्सर सीट कास्तित्व खत्म हो चुका था तब फिर खानपुर से जीते,2016 में कांग्रेस से बगावत करके भाजपा में एंट्री की थी।
अब पुनः घर वापसी पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत ने अपना फैसला सुनाया जिसमे 13 महिने बाद चैंपियन को वापसी का मौका भविष्य में गलती नही दोहराने पर दिया गया है।चैंपियन ने भी गलती स्वीकार कर ली है।वही प्रदेश अध्यक्ष भगत ने चैंपियन के घर वापसी को कहा की पार्टी का विधायक जनता का सेवक है।परन्तु किसी भी विधायक को हद पार करने की इजाज़त नही दी जा सकती।