बड़ा सवाल…राजधानी में सप्लाई हो रहे पनीर के सैम्पल जांच में हुए फेल,200 रुपये किलो कैसे बिक सकता है जब 5 किलो दूध में 1किलो पनीर ही बन सकता है

देहरादून

पिछले सप्ताह एफडीए देहरादून की टीम द्वारा उपायुक्त गढ़वाल मंडल एवं जिला अधिकारी देहरादून के निर्देशानुसार मिल्क प्रोडक्ट की क्वालिटी जांच हेतु विशेष अभियान चलाया गया था।

पर्यटक सीजन के कारण पनीर दूध आदि प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ जाती है। जिसके कारण सहारनपुर आदि क्षेत्रों से कुछ ट्रांसपोर्टरों में द्वारा प्राइवेट कार में सस्ते दाम में ₹200 प्रति किलो की दर से घटिया पनीर सप्लाई किया जा रहा था जबकि 5 किलो दूध में लगभग 1 किलोग्राम पनीर ही बनता है।

एफडीए देहरादून के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों रमेश सिंह, योगेंद्र पांडेय, संजय तिवारी व मंजू ने अभियान चलाकर पनीर के 8 नमूने एवं मावे के 2 नमूने क्वालिटी जांच हेतु गवर्नमेंट लैब रुद्रपुर में भेजें जिसकी जांच रिपोर्ट में पनीर के 8नमूने मे फॉरेन फैट ( मिल्क फैट के अतिरिक्त अन्य सिंथेटिक फैक्ट से बनाया गया होना पाया गया है) और और और असुरक्षित घोषित किया गया है और मावे के 2 सैंपल सब स्टैंडर्ड पाए गए हैं जो मानक के अनुरूप नहीं है।

एफडीए की टीम द्वारा कार्रवाई करते हुए लगभग 1200 किलोग्राम (12 कुंटल) नकली पनीर को बाजार मे विक्रय होने से पहले ही जेसीबी की सहायता नष्ट करा दिया गया था और पनीर के नमूना परीक्षण हेतु गवर्नमेंट लैब में भेजे गए थे और लैब की रिपोर्ट के आधार पर डेरी प्रोडक्ट ट्रांसपोर्टरों के विरुद्ध खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006के तहत वैधानिक कार्रवाई करते हुए धारा 46 के तहत नोटिस जारी किया गया है।

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