देहरादून
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर द्वारा एस टी ए की बैठक में 24 दिसंबर को हुई इलेक्ट्रिक बसों के किराए में वृद्धि का फैसला, जो कि सिटी बसों के किराए के समकक्ष ही है ,इससे सिटी बसों के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा गया है । विडंबना है कि इलेक्ट्रिक बसों के लिए कोई परमिट नहीं है तो फिर बिना परमिट के कैसे सिटी बसों के रूट की तरह इलेक्ट्रिक बसों के भी रूट मार्ग तय कर किराया तय कर दिया गया।
शासन को वाहन स्वामियों को भी है बताना होगा कैसे एक करोड़ की इलेक्ट्रिक बस इतने कम किराए में लाभ में चल पाएगी।
स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अध्यक्ष आरटीए एवं अध्यक्ष एसटीए को आपस में समन्वय स्थापित कर इलेक्ट्रिक बसों के लिए समय सारणी रूट मार्ग एवं एरिया नोटिफाइड होना चाहिए साथ ही इलेक्ट्रिक बसों के लिए एक निश्चित किराया तय होना चाहिए। जिससे कि छोटे बड़े कमर्शियल वाहन स्वामी ऑटो, थ्री व्हीलर,टेंपो, विक्रम,टैक्सी इत्यादि जो देहरादून शहर में संचालित हैं उन्हें नुकसान न उठाना पड़े। अपनी व्यथा अध्यक्ष ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के यहां बैठक में अपने प्रत्यावेदन के साथ रख दी गई है।
देहरादुन महानगर सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल ने बताया कि शासन मांगों में पर विचार कर हजारों लोगों की रोजी-रोटी को छीनने से बचा सकता है। अन्यथा मजबूरन सांकेतिक हड़ताल कर चक्का जाम करने को विवश होना पड़ेगा। उसके बाद अगली रणनीति में तय होने पर यह अनिश्चितकालीन भी हो सकता है।
बैठक में ऑटो यूनियन के अध्यक्ष राम सिंह, विक्रम जन कल्याण समिति देहरादून के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार, आईएसबीटी टैक्सी यूनियन के सचिव आशुतोष मंगगाई, जौली ग्रांट एयरपोर्ट टैक्सी चालक व मालिक समिति के अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भारती, टूर ट्रैवल ओनर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता भगवान सिंह पवार उपस्थित थे।