राज्य कर विभाग की मुस्तैदी से हवा में चल रही 22 कंपनियों की 8.5 करोड़ की जीएसटी की पकड़ी गई चोरी

देहरादून

उत्तराखंड राज्य कर विभाग ने कागजों में चल रहीं 22 फर्मों की 8.5 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी पकड़ी है, जो प्रदेश में इलेक्टि्कल इक्विपमेंट और उसके कच्चे माल का कारोबार कर रहीं थीं। इन फर्मों पर जीएसटी टीमों ने दो दिन पहले छापा मारा था और दस्तावेज जब्त किए थे। प्रथम दृष्टया इतनी चोरी पकड़ में आई है। हालांकि कुछ फर्मों ने 1.65 करोड़ जमा भी करा दिए हैं।

राज्य कर विभाग के अफसरों के मुताबिक, कागजों में चल रहीं 22 फर्मों की चेन पकड़ में आई है। तीन मई को जीएसटी की टीमों ने देहरादून, हरिद्वार, रुड़की में एक साथ इन फर्मों के व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर छापा मारा गया था। कुछ माह से इनके लेनदेन पर विभाग अपनी पैनी निगाह रख रहा था। बताया गया कि ये फर्में उत्तराखंड से बाहर पंजीकृत फर्मों से बिना माल की वास्तविक आपूर्ति बिल ट्रेडिंग के जरिए बोगस आईटीसी का लाभ लेकर अपनी जीएसटी देयता समायोजित कर रहीं थीं।

इन सप्लायर फर्मों की पुरानी चेन की जांच में पाया गया कि आने वाले माल के मुकाबले अधिक सप्लाई मूल्य के ई-वे बिल बनाए गए हैं। छापे में इन प्रतिष्ठानों से दस्तावेज जब्त किए गए थे। फॉरेंसिक एक्सपर्ट की मदद से भी डिजिटल एविडेंस भी एकत्रित किए गए हैं।

प्रथम दृष्टया जांच पड़ताल के बाद 8.5 करोड़ की जीएसटी चोरी पकड़ी गई। कुछ फर्मों ने अपनी गलती मानते हुए 1.65 करोड़ जीएसटी मौके पर ही जमा भी करा दिया गया।

विभाग द्वारा जीएसटी चोरी में पकड़ी गई 22 फर्मों के मालिकों की संपत्तियों का विवरण जुटाया जा रहा है, ताकि उनसे वसूली की कार्रवाई की जा सके।

जांच टीम में उपायुक्त विनय पांडेय, निखिलेश श्रीवास्तव, अजय बिरथरे, सुरेश कुमार, शिवशंकर यादव, सहायक आयुक्त मनमोहन असवाल, टीका राम, रजनीकांत शाही, राज्य कर अधिकारी ईशा, असद अहमद, गजेंद्र भंडारी शामिल रहे।

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