देहरादून
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में स्थित कॉर्बेट नेशनल पार्क की पाखरो टाइगर सफारी निर्माण घोटाले मामले में ईडी ने आरोपी पूर्व डीएफओ किशन चंद की संपत्तियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने प्रदेश के पूर्व आईएफएस की 32 करोड़ की सम्पत्ति अटैच किए जाने के उपरांत सत्ता के गलियारों में हड़कंप सा मचा है।
यहां बताते चलें कि पाखरो टाइगर सफारी निर्माण में धांधली व परमिशन से ज्यादा पेड़ कटान मामले में किशन चंद जेल भी जा चुके है। इस मामले में सीबीआई मुकदमा दर्ज कर चुकी है।
पूर्व वन मंत्री हरक सिंह से भी सीबीआई पूछताछ कर रही है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक हरिद्वार जिले के एक स्कूल भवन और रुड़की स्थित एक स्टोन क्रशर प्लांट को धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत अटैच किया गया है, जिनका स्वामित्व आईएफएस किशन चंद और उनके परिवार के सदस्यों के पास है। वहीं ईडी ने उसकी 31 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की संपत्ति को अटैच किया है।
इन संपत्तियों की कुल कीमत लगभग 31.88 करोड़ रुपये है।
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला उत्तराखंड सरकार के सतर्कता विभाग के अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर से जुड़ा है। जांच के दौरान पता चला कि अटैच की गई संपत्तियां ‘अपराध से अर्जित आय’ हैं, और विभिन्न खातों में भारी मात्रा में नकदी तथा तीसरे व्यक्ति के नाम पर चेक जमा किए गए थे।
जमा की गई राशि का उपयोग इन संपत्तियों को खरीदने के लिए किया गया।
एक जनवरी 2010 से 31 दिसंबर 2017 तक मात्र 7 साल की अवधि के दौरान किशन चंद ने चल और अचल संपत्तियों के अधिग्रहण व खरीद के साथ- साथ अन्य कार्यों पर 41.9 करोड़ रुपये की राशि खर्च की।
हालांकि इस दौरान चंद की आय 9.8 करोड़ रुपये थी। इस प्रकार, उसके पास 32.1 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति भी थी, जो कि अपराध की कमाई की श्रेणी में शामिल है।
हालांकि किशन चंद ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई पर कहा गया कि एजेंसी की तरफ से उनकी जो अटैच संपत्ति और उसका मूल्य बताया गया वो मौजूदा मार्केट वैल्यू के लिहाज से है। जबकि उन्होंने यह संपत्ति सालों पहले की मार्केट वैल्यू से काफी कम कीमत में खरीदी थी।