- सम्राट पृथ्वीराज सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि एक महान राजा के जोश, जुनून और संघर्ष की असल कहानी है। चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने इस कहानी में इमोशन, रोमांस और एक्शन का तड़का लगाकर फिल्मी पर्दे के लिहाज से मनोरंजक बनाया है। उस दौर को दिखाने के लिए महलों के भव्य सेट, पोशाक, शूटिंग की लोकेशन आपको सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जमाने में ले जाती है। मुंबई के बोरिवली के सिंटे ग्राउंड में दिल्ली, राजस्थान और कन्नौज के सेट बनाए गए। इन्हें अलग अलग दिखाने को चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने दिल्ली के महलों को लाल, राजस्थान के लिए पीला औश्र कन्नौज के लिए उजला रंग इस्तेमाल किया। 300 करोड़ के बजट से बनी इस फिल्म में एक्शन सीन जबरदस्त हैं। फिल्म में अक्षय कुमार शेरों से भिड़ते नजर आ रहे हैं। ये शेर वीएफएक्स से नहीं बनाए गए हैं, बल्कि असली हैं। क्रू मेंबर्स इस सीन के लिए अफ्रीका गए थे और वहां प्रशिक्षित शेरों के साथ मनमुताबिक सीन शूट किए गए। क्रोमा के माध्यम से शेरों की एक्टिविटी को शूट किया गया और मुंबई आकर अक्षय के उसे क्रोमा के जरिए मैच किया गया।
यह दृश्य आपकी रगों में जोश भरने का काम करता है और युद्ध के समय हर हर भोलेनाथ के नारे दर्शकों को उत्साहित कर देते हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक का भी कोई मुकाबला नहीं है। अब बात करते हैं अदाकारी की। अक्षय कुमार इस फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी हैं। उन्हें पृथ्वीराज के रूप में तैयार तो किया गया लेकिन पर्दे पर उन्हें देखकर सम्राट पृथ्वीराज जैसा एहसास नहीं हो पाता है। वे पर्दे पर अक्षय ही दिखे हैं, हालांकि दमदार डायलॉग और एक्शन की वजह से फिल्म बोर नहीं करेगी। वहीं संयोगिता के रूप में मानुषी छिल्लर का काम सादगी भरा है।
मानुषी ने अपनी पहली फिल्म के हिसाब से एक्टिंग से लेकर एक्सप्रेशन तक हर चीज में 100 प्रतिशत देने की कोशिश की है। संजय दत्त का कैमियो काबिलेतारीफ है, सोनू सूद, मानव विज और आशुतोष राणा अपने रोल में छाए नजर आए हैं। सपोर्टिंग कास्ट ने फिल्म को सशक्त बनाने का काम किया है। अगर सपोर्टिंग कास्ट को हटा दें या इस चयन में हल्की सी गलती रह जाती तो फिल्म का पूरा मजा किरकिरा होने में देर नहीं लगती। फिल्म का संगीत मनमोहक है और स्थिति एवं आवश्यकता के अनुसार गाने पूरा आनंद देतेहैं।