12 पेंशनर्स के खातों को जीवित कर 50 लाख से ज्यादा गबन मैं पहली गिरफ्तारी

देहरादून/उत्तरकाशी

7 जनवरी को बृजेन्द्र लाल शाह, सहायक कोषाधिकारी उत्तरकाशी द्वारा कोतवाली उत्तरकाशी पर आकर सदर कोषागार उत्तरकाशी मे तीन कर्मिकों के खिलाफ दस्तावेजों की कूटरचना कर शासकीय धन 42,25,129 रु0/-के गबन के सम्बन्ध में लिखित तहरीर दी गयी थी जिस आधार पर 3 कोषागार कर्मियों सहा. लेखाकार महावीर सिंह, सहा. कोषाधिकारी धर्मेन्द्र शाह व पीआरडी आरती के खिलाफ कोतवाली उत्तरकाशी पर धारा 420,409,467,468,

471 व 120(B) भादवि के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया था।

मामले मे त्वरित कार्यवाही व अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु पीके राय, पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी द्वारा क्षेत्राधिकारी उत्तरकाशी व प्रभारी निरीक्षक कोतवाली को आवश्य दिशानिर्देश दिये गये थे, प्रकरण में विवेचना व0उ0नि0 प्रकाश राणा द्वारा सम्पादित की जा रही है, साक्ष्य/तथ्यों के आधार पर उक्त मामले में 12 मृत पेंशनर के खातों को जीवित कर अभियुक्तों द्वारा कंप्यूटर सिस्टम में कूटरचित तरीके से अपने व अपने परिचितों के खातों में पैसे डालना प्रकाश मे आया है,जिसमें

1- अभियुक्त महावीर सिंह नेगी के दो बैंक खातों में लगभग 15,00000 रुपए

2- धर्मेंद्र शाह के बैंक के खाते में लगभग 11,68,000 रुपए

3- आरती के तीन बैंक खातों में 24 लाख 14000 रु0 का गबन किया है।

 

विवेचना के दौरान दो अन्य नाम भी सामने आये हैं-

1-पीआरडी सुधा उनियाल पुत्री रमाकांत उनियाल निवासी उत्तरकाशी के बैंक खाते में 1,80,000 रु0

2-गौरव रावत पुत्र बुद्धि सिंह रावत निवासी जोशीयाडा के बैंक खाते में 8,93,000 रु0।

अभियुक्तों द्वारा मृत पेंशनरों के पैसों को कोषागार आहरित कर गबन किया गया है।

इस मामले में पुलिस द्वारा कल 24 जनवरी की रात सहायक लेखाकार, महावीर सिंह नेगी पुत्र भारत सिंह नेगी निवासी ग्राम कुमाल्टी पो0 लाटा, तह0 भटवाटी, उत्तरकाशी उम्र 30 वर्ष को पोखु देवता मन्दिर मातली के पास से गिरफ्तार किया गया है।अग्रिम कार्रवाई प्रचलित है, मामले मे संलिप्त अन्य लोगों को पुलिस द्वारा जल्द ही गिरफ्तार किया जायेगा।

सहायक लेखाकार, महावीर सिंह द्वारा पुछताछ में बताया गया कि वह वर्ष 2016 से सदर कोषागार मे सहा0 लेखाकार के पद पर नियुक्त है, वर्ष 2019 एक पेशनर की पेंशन फेल हो गयी जिसको उनके द्वारा एक पीआरडी के खाते में डालकर गबन किया गया था। महावीर सिंह मृत पेशनर का विवरण भी चैक करता था, कोषागार कर्मी मृत पेशनर को जीवित दिखाकर उसका पैसा अपने किसी परिचत खाते मे डालकर विड्रॉल कर पैसे गबन करते थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.