नए सत्र 1 जुलाई से नई शिक्षा नीति को लेकर होंगे कई बदलाव, जो शिक्षक व स्टूडेंट के लिए होगी काफी अहम

देहरादून

उत्तराखंड में इसी सत्र से यानि 1 जुलाई से नई शिक्षा नीति लागू होने जा रही है। जिसके तहत शिक्षा में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

अभी तक स्कूलों में जो सिस्टम था उस पैटर्न को नई शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। नए पैटर्न को इसमें फॉलो किया जाएगा, जिसमें 3 से 8, 8 से 11, 11 से 14 और 14 से 18 साल की उम्र के बच्चे शिक्षा लेंगे। इस नीति को स्कूल, कॉलेज में फेज वाइज शुरू किया जा रहा है। प्रदेश के सभी स्कूलों में प्राइमरी क्लास से ही बाल वाटिका के तौर पर इसे शुरू किया जायेगा। वहीं सेंट्रल यूनिवर्सिटी से एफिलेटेड कॉलेज में तो एडमिशन के लिए एनरॉलमेन्ट प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है। उसके बाद ही कॉलेज में टेस्ट के लिए स्टूडेन्ट पात्र होगा।

प्रदेश में लागू की जाने वाली नई शिक्षा व्यवस्था को कई मायनों में काफी अहम माना जा रहा है।

उत्तराखण्ड में एनईपी को लेकर शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों में उत्साह है। ऐसे में बड़े बदलाव के साथ- साथ यह टीचर्स के लिए काफी चैलेन्जिग होगा। शिक्षा जगत से जुड़े लोगों का मानना है कि पहले सिर्फ किताबी ज्ञान को माध्यम मानते हुए स्टूडेंट्स की काबिलियत का आंकलन किया जाता था, लेकिन नेशनल एजुकेशन पॉलिसी समझ को प्राथमिकता देती है। इस नीति के तहत ग्रेजुएशन कोर्स 3 या 4 साल के हो सकते हैं, जिसमें एग्जिट ऑप्शन भी होगा। अगर स्टूडेंट्स ने 1 साल ग्रेजुकेशन कोर्स में पढ़ाई की है तो उसे सर्टिफिकेट दिया जाएगा। 2 साल के बाद एडवांस डिप्लोमा दिया जाएगा। 3 साल के बाद डिग्री दी जाएगी और 4 साल के बाद रिसर्च के साथ बैचलर की डिग्री प्रदान कर दी जाएगी।

उल्लेखनीय है कि जुलाई से सभी स्कूल, कॉलेजों में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को लागू कर दिया जाएगा। इसका लागू होना शिक्षाविदों के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है। इसमें पुरानी शिक्षा प्रणाली में काफी बदलाव तो देखने को मिलेंगे ही साथ ही किताबी ज्ञान की जगह दिमागी ज्ञान को बेहद महत्व दिया जाना है। पाठ्यक्रम तैयार हो गया है, अब बच्चे मातृभाषा के साथ ही नया सेलेब्स पढ़ेंगे।

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