स्थानीय खेतों के फूलों से पहली बार सजेंगे गंगोत्री यमनोत्री मन्दिर,काश्तकारों की आर्थिकी भी होगी मजबूत…द्वारिका सेमवाल

देहरादुन

पहली बार स्थानीय काश्तकारो के द्वारा उगाये देशी विदेशी फूलों से सजेगे गंगोत्री यमनोत्री मंदिर …

अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर 26 अप्रैल को गंगोत्री और यमनोत्री के कपाट खुलने जा रहे हैं।जिसको लेकर प्रशासन युद्ध स्तर पर तैयारी में जुटा हुआ है।लगभग सभी तैयारियां हों चूकी है।काफी दिनों से उत्तरकाशी जिला प्रशासन और स्थानीय तीर्थ पुरोहितों के बीच इस बात को लेकर मंथन चल रहा था।कोरोना के चलते मन्दिर के लिए फूल को बाहर से नही लयज सकता था।ऐसे में जिलाधिकारी आशीष चौहान ने स्थानीय स्तर पर ही फूलो के लिए खोजबीन शुरू करवायी ओर इसके लिए उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन जन मंच आगे आया। स्थानीय काश्तकारों से फूल एकत्रित कर मन्दिर तक पुहुँचाने का जिम्मा लिया। लगातार प्रयास करते हुए उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन जन मंच के सदस्य संदीप उनियाल, द्वारिका सेमवाल, कमलेश गुरुरानी द्वारा मुख्य विकास अधिकारी डंडरियाल,आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेन्द्र पटवाल, अध्यक्ष मंदिर समिति गंगोत्री सुरेश सेमवाल, सचिव यमनोत्री मंदिर समिति देवेश्वर उनियाल के सहयोग से और जिलाधिकारी आशीष चौहान के मार्गदर्शन में रेणुका समिति के संदीप उनियाल 500 दर्जन गंगोत्री एवम् अनिल डंगवाल केदार जन विकास संस्था 300 दर्जन यमनोत्री मंदिर के लिए स्थानीय स्तर पर लगाए गए ग्लैडियोलस (सोर्ड लिली) ओर गेंदे के फूल मंदिर की सजावट हेतु लेे कर मंदिरों में पहुंच गए है। ये फूल रेणुका समिति द्वारा बरेथी एवम् गैवला के महेश आनन्द, ममता चोधरी, कविता रतुड़ी, चन्द्र्मनी नौटियाल चन्द्रशेखर चमोली के द्वारा तैयार किये गये। इसके अतिरिक्त रिलायंस फाउंडेशन द्वारा समूहों के माध्यम से जीनेठ एवम् बांदु गांव में भी ग्लेडीयोलस लगाए गये हैं। इस समय फूल गैवला एवम् बरेथी से भेजे गए है और भविष्य की जरूरत के लिए आने वाले अगले 20 दिनों में जनेथ एवम् बांदु से फूलों की आपूर्ति की जाएगी। इन गांवों मे इस समय गेंदें की खेती की जा रही है।
चूंकि इस बार जिले के बाहर से फूलों को लाना संभव नहीं है इसलिए मंदिर समितियों द्वारा लिया गया निर्णय भविष्य में जिले मे फूलों की खेती को निसंदेह प्रोत्साहित करेगा एवं यहा के किसानों की आर्थिकी बढाने में योगदान देगा।इस मौके पर उत्तरकाशी आपदा प्रबन्धन जनमंच के अध्यक्ष द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने बताया कि हमारा प्रयास है कि स्थानीय काश्तकारों से ही मन्दिरो को सजाया जाए और पूजा आदि में भी यही पुष्प उपयोग हो तो काश्तकारों का उत्साह बढ़ेगा और आर्थिकी को बढ़ने के साधन भी सहर्ष ही उपलब्ध होंगे।
बताया कि उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन जन मंच सामजिक कार्यकर्ताओ , स्वैछिक संगठनों का साझा मंच है जिसकी स्थापना हिमालय पर्यावरण जड़ी बुटी एग्रो संस्था जाड़ी की पहल पर 2010 मे आपदा प्रभावितो की पैरवी,सहयोग व सरकार के साथ सामन्जस्य बनाने के उद्देश्य की गई थी।

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