भगवान नीलकंठ महादेव जलाभिषेक को तैयार,4 करोड़ भक्त आ रहे हैं जल चढ़ाने,हरिद्वार ऋषिकेश गंगा से जल भरेंगे कांवड़िये,आज से सावन का महीना शुरू

देहरादून/उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड के स्वर्गाश्रम यमकेश्वर ब्लॉक के पौड़ी गढ़वाल स्थित ऋषिकेश से लगा हुआ और हिमालय पर्वतों की तलहटी में बसा नीलकंठ महादेव मंदिर है।

नीलकंठ महादेव मंदिर के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया गया था। उसी समय उनकी पत्नी, पार्वती ने उनका गला दबाया जिससे कि विष उनके पेट तक नहीं पहुंचे। इस तरह, विष उनके गले में बना रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था। गला नीला पड़ने के कारण ही उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया था। अत्यन्त प्रभावशाली यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

इस वर्ष आज 16 जुलाई से श्रावण माह के चलते नीलकंठ में श्रद्धालूओं का आना शुरू हो गया है। आने वाले चार सोमवार और पूरे सावन भर उत्तराखण्ड शासन के अनुसार यू पी के साथ दिल्ली,हरियाणा,पंजाब,हिमाचल और राजस्थान से 4 करोड़ से ज्यादा कांवड़िए नीलकंठ महादेव पर जलाभिषेक को पहुंचेंगे।अतः प्रशासन ने फुलप्रूफ तैयारियां की हैं। किसी भी समस्या से निबटने को सम्पूर्ण कांवड़ क्षेत्र में 12 सुपर जॉन,31 ज़ोन और 133 सेक्टर में बांटा गया है।इसमें लगभग 9 से 10 हज़ार पुलिसकर्मी व्यवस्था संभालेंगे। कहा जा रहा है कि पिछले 15-20 वर्षों से लगातार कांवड़ियों की संख्या में व्रद्धि दर्ज की जा रही है,2019 में भी 3 करोड़ कांवड़िए पहुंचे थे।

उत्तराखण्ड पुलिस ने असुविधा से बचने के लिए सभी श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन हेतु पोर्टल https://policecitizenportal.uk.gov.in/Kavad खोला है और अपील की है कि पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करके ही कांवड मेला आयें।

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