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कर्मकार बोर्ड में भ्रष्टाचार मामले में हाईकोर्ट ने मांगी जांच रिपोर्ट:. हाईकोर्ट ने भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में भ्रष्टाचार के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि मामले में जांच पूरी हुई या नहीं. अगर जांच पूरी हो गई है तो रिपोर्ट शुक्रवार को कोर्ट में पेश करें. इधर, बोर्ड चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल ने भी प्रार्थना पत्र दाखिल कर मामले में पक्षकार बनाने की याचना की है. उन्होंने कहा है कि वह इस घोटाले से पूरी तरह भिज्ञ हैं, लिहाजा उन्हें पक्षकार बनाया जाए. मामले में शुक्रवार को भी सुनवाई जारी रहेगी. गुरुवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में में ऊधमसिंहनगर के काशीपुर निवासी खुर्शीद अहमद की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कर्मकार बोर्ड के चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल ने खुद को पक्षकार बनाए जाने के लिए प्रार्थना
पत्र दिया. जिसमें कहा गया है कि बोर्ड चेयरमैन होने के बाद भी उनको पक्षकार नहीं बनाया गया. जबकि वह पूरे घोटाले के बारे में जानते हैं. कोर्ट को उनका पक्ष सुनना आवश्यक है. उन्होंने जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग भी की है. जांच में घपले की पुष्टि:
जनहित याचिका में कहा गया था कि 2020 में भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में श्रमिकों को टूल किट, सिलाई मशीनें एवं साइकिल देने के लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया गया था, लेकिन इनकी खरीद में बोर्ड के अधिकारियों द्वारा अनियमिताएं बरती गई. जब इसकी शिकायत प्रशासन व राज्यपाल से की गई तो अक्टूबर 2020 में बोर्ड को भंग कर दिया गया. साथ ही बोर्ड का नया चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल को नियुक्त किया गया. जब इसकी जांच चेयरमैन द्वारा कराई गई तो घोटाले की पुष्टि हुई. मामले में श्रम आयुक्त उत्तराखंड के द्वारा भी जांच की गई. जिसमें नेताओं व अधिकारियों के नाम सामने आए, लेकिन सरकार ने उनको हटाकर उनकी जगह नया जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया. ऐसे में निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही है, और अपनों को बचाया जा रहा है.याचिकाकर्ता का कहना है कि मामले की जांच एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर निष्पक्ष रूप से कराई जाए. अस्पताल के लिए जमीन का चयन नहीं, कर दिया 20 करोड़ एडवांस भुगतान चैयरमैन शमशेर सिंह सत्या का कहना है कि बोर्ड के सदस्यों ने कोटद्वार में ईएसआइ हास्पिटल बनाने के लिए सरकार व कैबिनेट की मंजूरी के बिना ब्रिज एंड रूफ इंडिया लिमिटेड कंपनी को 50 करोड़ का ठेका दे दिया. कंपनी को 20 करोड़ का अग्रिम भुगतान भी कर दिया, जबकि वास्तविकता यह है कि अभी तक हॉस्पिटल बनाने के लिए जमीन का चयन तक नहीं किया गया. बिना सरकार की अनुमति के 20 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान नहीं किया जा सकता था. सरकार ने नौ दिसंबर 2020 को इसकी जांच के लिए कमेटी का गठन किया था. कमेटी से यह कहा गया कि कंपनी से 20 करोड़ रुपया वसूलकर इसको संबंधित खाते में जमा करवाएं. इसी साल 23 मार्च को कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. जांच में 20 करोड़ के गबन का जिक्र किया गया है. चेयरमैन सत्याल का कहना है कि जब जांच पूरी हो चुकी है तो सरकार इस रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नही कर रही है.