शरद पूर्णिमा के अवसर पर जैन संत आचार्य 108 विद्यासागर महाराज का अवतरण दिवस हर्षोल्लास के साथ मना

देहरादून

जैन धर्म के विश्व-वंदनीय संत आचार्य 108 विद्यासागर महाराज भारत भूमि के प्रखर तपस्वी, चिंतक, कठोर साधक, लेखक का शरद पूर्णिमा के अवसर पर उनका अवतरण दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

कार्यक्रम मे आचार्य विद्यासागर विचार मंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम मुनि 108 उपाध्याय विकसंत सागर महाराज के सानिध्य में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर मुनि विकसित सागर ने अपने प्रवचन में उनका स्मरण करते हुए कहा कि यह हमारी स्मृति ने हमेशा बने रहेंगे उनको विश्व मे सभी श्रद्धालु भगवान का दूसरा रूप मानते थे उनके विचारों को आज भी याद किया जाता है और लोग उनके बताए हुए रास्ते का अनुसरण भी करते हैं जैसे कि उन्होंने कहा था कि अनुभव ही जीवन में काम आता है, सिर्फ किताबी ज्ञान कोई उपलब्धि नहीं दिला सकता है एवम ‘जो दूसरों के अवगुण देखता है और दूसरों को सुखी देखकर ईर्ष्या करता है, वह कभी भी सुख-शांति का अनुभव नहीं कर सकता है। ये विचार जैन संत विद्यासागर का है।

कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी मधु जैन ने बताया कि भगवान बुद्ध के प्रातः कालीन मस्तक अभिषेक से किया गया उसके उपरांत शांति धारा की गई तथा उसके बाद सामूहिक पूजा की गई। आचार्य विद्यासागर जी का भी विशेष पूजन किया गया तथा आचार्य श्री को विशेष अर्घ्य समर्पित किए गए।

इसके उपरांत उपाध्याय विकसंत सागर महाराज ने मुनि शुद्धात्म सागर महाराज द्वारा पत्ते पर बनाई गई आचार्य विद्यासागर की कलाकृतियों का विमोचन किया गया।

मुनि शुद्धात्म सागर महाराज द्वारा आचार्य के जीवन पर प्रकाश डाला गया इसके उपरांत आचार्य के जीवन पर आधारित एक प्रश्न मंच भी किया गया जिसमें सही उत्तर देने वालों को सम्मानित किया गया। आचार्य विद्यासागर विचार मंच के सदस्यों द्वारा आचार्य की दी हुई शिक्षाओं का पालन करने का संकल्प लिया।

इस अवसर पर पंकज जैन, डॉक्टर संजय जैन, सुनील जैन, प्रवीण जैन, राजेश जैन, महेंद्र कुमार जैन, सतीश चंद जैन, डॉ संजीव जैन, अंकित जैन, अनुज जैन, वेदांश जैन, राजीव जैन, अजय जैन, अक्षित जैन, संयम जैन, वासु जैन, मीडिया प्रभारी मधु जैन, अलका जैन, शेफाली जैन, रश्मि जैन, रेनू जैन, गीतिका जैन सहित अनेको जैन धर्मावलंबी उपस्थित रहे।

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