देहरादून
“बांस की पत्तियों से बनी पोषक और एंटीऑक्सीडेंट युक्त “बांस चाय” पर पेटेंट हुआ प्रकाशित”डीएवी महाविद्यालय, देहरादून के रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं प्रमुख शोधकर्ता प्रो. प्रशांत सिंह के निर्देशन में तैयार की गई अभिनव शोध के अंतर्गत “बांस चाय का पोषक तत्वों से भरपूर निर्माण और उसका उत्पादन विधि” पर हाल ही में एक पेटेंट प्रकाशित हुआ है। यह आविष्कार प्राकृतिक बांस की पत्तियों जैसे बैम्बूसा वल्गारिस (Bambusa vulgaris) और बैम्बूसा तुल्दा (Bambusa tulda) से एक विशिष्ट प्रक्रिया द्वारा चाय निर्माण की तकनीक से संबंधित है।
इस नवाचार में बांस की पत्तियों से एक ऐसी चाय तैयार की गई है जो पोषक तत्वों और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर है।
अनुसंधान के मुख्य निष्कर्षों में यह पाया गया कि बैम्बूसा वल्गारिस और बैम्बूसा तुल्दा प्रजातियों की पत्तियाँ प्राकृतिक रूप से फ्लेवोनॉयड्स, फिनॉलिक यौगिकों, और आवश्यक खनिजों जैसे पोटेशियम, कैल्शियम, एवं मैग्नीशियम से समृद्ध होती हैं। इनके सेवन से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, पाचन तंत्र में सुधार होता है, और शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव कम होता है। स्वाद को और अधिक रोचक व लाभकारी बनाने के लिए चाय में कैमोमाइल फूल, लेमन ग्रास, स्टीविया, गुड़हल, मुलबरी, और नीला अपराजिता जैसे प्राकृतिक तत्व भी सम्मिलित किए गए हैं।
यह पेटेंट न केवल स्वास्थ्यवर्धक पेय क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता और स्थानीय संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक सशक्त प्रयास है। यह चाय पर्यावरण हितैषी भी है क्योंकि इसे बांस जैसे टिकाऊ संसाधन से बनाया गया है और इसकी पैकिंग भी बायोडिग्रेडेबल सामग्री में की जाती है।
निकट भविष्य में इस उत्पाद को बाजार में लाने की योजना है, ताकि यह आम जनता तक पहुँचे और स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सके। यह बांस चाय दो प्रकार की पैकिंग में उपलब्ध कराई जाएगी:
1. डिप बैग्स: जिसमें तय मात्रा में चाय और प्राकृतिक औषधीय तत्व हैं, और यह बायोडिग्रेडेबल टी-बैग्स में पैक की जाएगी।
2. खुली चाय (Loose Tea): जो एयरटाइट ग्लास बोतल या इको-फ्रेंडली पैकेट्स में उपलब्ध कराई जाएगी।
यह उत्पाद दो रूपों डिप बैग और खुली चाय में उपलब्ध होने से उपभोक्ता/ उपयोगकर्ता अपनी सुविधा अनुसार इसका उपयोग कर सकेगा। यह शोध कार्य आज की युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है, जो स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक है।
प्रो. प्रशांत सिंह ने बताया कि इस पेटेंट के माध्यम से हमारा उद्देश्य है कि पारंपरिक पेय पदार्थों के स्थान पर पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से युक्त स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया जाए। यह शोध कार्य “फंक्शनल बेवरेज” की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है।
इस शोध कार्य में डीएवी (पीजी) कॉलेज, देहरादून के नेतृत्व में कई सहयोगी संस्थानों और विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पेटेंट के सह-आविष्कारकों ने अपने-अपने विषय एवं विशेषज्ञता के क्षेत्रों में तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग प्रदान किया।
इको बम्बरीन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश की ओर से आवेदित इस पेटेंट में आविष्कारक प्रो. (डॉ.) प्रशांत सिंह सहित डॉ. निशा त्रिपाठी, एस. टी. एस. लेपचा, डॉ. राजेन्द्र डोभाल, प्रो. (डॉ.) राकेश सिंह, डॉ. वी.के. वार्ष्णेय, प्रो. (डॉ.) संजय गुप्ता, डॉ. संतोष कुमार शर्मा, संजय सिंह, चरणजीत सिंह एवं डॉ. दीपा शर्मा आविष्कारकों की कोर टीम में शामिल हैं।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. कौशल कुमार ने प्रो. प्रशान्त सिंह को इस पेटेंट प्रकाशित करने पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह सफलता डीएवी कॉलेज की अनुसंधान परंपरा और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।