भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद् द्वारा सतत भूमि प्रबंधन के लिए कृषिवानिकी पर राष्ट्रीय कायर्शाला में देश भर के वैज्ञानिकों ने लिया हिस्सा

देहरादून

 

भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद्,देहरादून विश्वबैंक द्वारा वित्तपोषित पारितंत्र सेवाएं सुधार परियोजना के तहत सतत भूमि प्रबंधन के लिए कृषिवानिकी पर राष्ट्रीय कायर्शाला का आयोजन किया जा रहा है।

राष्ट्रीय कायर्शाला का उद्देश्य उपयुक्त रणनीतियों/फ्रेमवर्क र्को विकसित करना और कृषिवानिकी के विकास के लिए मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने और भारत के राष्ट्रीय लक्ष्यों और अंतरार्ष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं की प्राप्ति में कृषिवानिकी को बढ़ावा देने के लिए सरकार को आवश्यक नीतिगत इनपुट प्रदान करना है। मरुस्थलीकरण,भूमि क्षरण और सतत विकास लक्ष्यों का मुकाबला करना और भारत को एक अभिनव, संसाधनकुशल और काबर्नतटस्थ अथर्व्यवस्था की ओर स्थानांतरित करना है।राष्ट्रीय और अंतरार्ष्ट्रीय संगठनों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ, पयार्वरण, वन और जलवायु परिवतर्न मंत्रालय, भारत सरकार, पयार्वरण, वन और जलवायु परिवतर्न मंत्रालय, भारत सरकार, राज्य के वनविभाग, देश के वानिकीऔर कृषि अनुसंधान संस्थान, गैर-सरकारी देश के विभिन्न हिस्सों से संगठन, विश्वविद्यालय, लकड़ी आधारित उद्योग और किसान कायर्शाला में भाग ले रहे हैं और स्थायी भूमि और पारिस्थिति की तंत्र प्रबंधन के लिए कृषिवानिकी और उसको बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त रूपरेखा तैयार करने में अपने अनुभव साझा कर रहे हैं।

डॉ. रेणु सिंह, निदेशक, वनअनुसंधान संस्थान ने कायर्शाला के मुख्य अतिथि और राष्ट्रीय कायर्शाला के सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया,और स्वागत भाषण में राष्ट्रीय कायर्शाला की संरचना एवं कृषिवानिकी पर जानकारी दी।

विश्वबैंक के वरिष्ठ पयार्वरण विशेषज्ञ डॉ. अनुपम जोशी ने कहाकि कृषिवानिकी देश के प्राकृतिक वन आवरण के संरक्षण के साथ-साथ देश के सकल घरेलू उत्पाद में वन और वृक्षों के आवरण के योगदान को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूण प्रकृति-आधारित समाधानों में से एक है।कृषिवानिकी जलवायु परिवतर्न के चुनोतियों से निपटने में भूमि क्षरण को रोकने और जैवविविधता संरक्षण के लिए वनपारिस्थिति की तंत्र के स्वास्थ्य सुधार में अहम योगदान प्रदान करेगा।

भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद के महानिदेशक अरुण सिंह रावत ने उद्घाटन सत्र के संबोधन में कहा कि वन क्षेत्र भारत में काबर्न डाइ ऑक्साइड का शुद्ध सिंक हैऔर भारत के कुल ग्रीनहाउस गैस के उत्सजर्न करतेहै, और वन अपेक्षाकृत अन्य महत्वपुर्ण सह-लाभों के साथ कम लागत पर जलवायु परिवतर्न शमन अवसर प्रदान करते हैं।उन्होंने यह भी कहा कि कृषिवानिकी देश के हरित क्षेत्र को बढ़ाने, किसानों को दोगुना करने में वास्तविक गेम चेंजर है।उन्होंने यह भी कहा कि कृषिवानिकी देश के हरित आवरण को बढ़ाने, किसानों की आय को दोगुना करने, लकड़ी आधारित उद्योगों की मांगों को पूरा करने के साथ-साथ राष्ट्रीय लक्ष्योंऔर अंतरार्ष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने में

अपनी भूमिका निभाते हैं।राष्ट्रीय स्तर पर निधार्रित योगदान (एनडीसी) वानिकी क्षेत्र लक्ष्य, भूमि क्षरण तटस्थता लक्ष्य, वैश्विक जैव विविधता लक्ष्य और सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करना है।उन्होंने स्थायी भूमि और पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन में इस कायर्शाला के महत्व पर प्रकाश डाला।

भरत ज्योति, निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी ने कायर्शाला के मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्घाटन भाषण में कहाकि वन पारितंत्र के प्राकृतिक संतुलन को बनाने में अहमहै और देश में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए कुछ परिवतर्नकारी कारर्वाई करने की आवश्यकता है।उन्होंने यह भी कहा कि कृषि वानिकीको बढ़ावा देने के लिए बहुपाद्पीय कृषिकरण के सवोर्त्तम प्रणालियोंकोअपनाने की आवश्यकताहै। जो एक सतत् विकास मेंअहम योगदानप्रदानकरेंगें।

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