खटीमा गोली कांड की बरसी पर श्रद्धांजली देने उमड़े राज्य आंदोलनकारी बोले शहीदों के सपने आज भी अधूरे – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

खटीमा गोली कांड की बरसी पर श्रद्धांजली देने उमड़े राज्य आंदोलनकारी बोले शहीदों के सपने आज भी अधूरे

देहरादून

उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में खटीमा के शहीदों को श्रद्धांजली देने हेतु एकत्र होकर खटीमा के शहीद अमर रहें के नारे लगाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किये। आज भी राज्य आन्दोलनकारियों में रोष हैं क़ि आज भी शहीदों के दोषियों को सजा नहीं मिल पाई।

शहीदो को नमन करने के उपरान्त राज्य आन्दोलन में संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष रहें स्वर्गीय रणजीत सिहं वर्मा की स्मृति में औषधीय पौधे लगाऐ।
जिसमें परीजात .आंवला , गिलोय , आदि  पौधा रोपण शहीद स्मारक परिसर में किया गया। मोके पर वरिष्ठ आंदोलन कारी प्रदीप कुकरेती द्वारा बताया गया कि एक सितम्बर 1994 को उत्तराखंड में काले दिन के रूप में याद किया जाता है। आज जेहन में वर्ष 1994 के सितंबर महीने की पहली तारीख का वो मंजर ताजा है जब उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर सुबह से हजारों की संख्या में लोग खटीमा की सड़कों पर आ गए थे। इस दौरान ऐतिहासिक रामलीला मैदान में जनसभा हुई, जिसमें बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं और बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक शामिल थे।
आंदिलनकारी रविन्द्र जुगरान बताते है कि जनसभा मेकमोजूद लोगो की शांतिपूर्ण आवाज दबाने के लिए ही पुलिस ने बर्बरता की सारी हदें पार की और निहत्थे उत्तराखंडियों पर गोली चलाई थी, जिसमें सात राज्य आंदोलनकारी शहीद हो गए थे, जबकि कई लोग घायल हुए थे। जिसके बाद ही उत्तराखंड आंदोलन ने रफ़्तार पकड़ी और इसी के परिणाम स्वरुप अगले दिन यानी दो सितम्बर को मसूरी गोली काण्ड की पुनरावृति हुई और यह आंदोलन तब एक बड़े जन आंदोलन के रूप में बदल गया।
राज्य आंदोलनकारी जगमोहन नेगी बताते है कि जनसभा के बाद दोपहर का समय रहा होगा, सभी लोग जुलूस की शक्ल में शांतिपूर्वक तरीके से मुख्य बाजारों से गुजर रहे थे। जब आंदोलनकारी कंजाबाग तिराहे से लौट रहे थे तभी पुलिस कर्मियों ने पहले पथराव किया, फिर पानी की बौछार करते हुए रबड़ की गोलियां चला दीं। उस समय भी जुलूस में शामिल आंदोलनकारी संयम बरतने की अपील करते रहे। इसी बीच अचानक पुलिस ने बिना चेतावनी दिए अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिसके परिणामस्वरूप प्रताप सिंह मनोला, धर्मानंद भट्ट, भगवान सिंह सिरौला, गोपी चंद, रामपाल, परमजीत और सलीम शहीद हो गए और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। आंदोलन कारी रामलाल खंडूरी ने बताया कि उस घटना के करीब छह साल बाद राज्य आंदोलकारियों का सपना पूरा हुआ और उत्तर प्रदेश से अलग होकर नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड के रूप में नया राज्य अस्तित्व में आया।
खटीमा गोली काण्ड के शहीदो को श्रद्धा सुमन में ओमी उनियाल , जगमोहन सिहं नेगी , रविन्द्र जुगरान , प्रदीप कुकरेती , कमला पंत , जयदीप सकलानी , केशव उनियाल , धीरेन्द्र प्रताप , पूरण सिहं लिंग्वाल , लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल , रामलाल खंडूड़ी , सुरेन्द्र सजवाण हरजिंदर सिहं , जगदीश चौहान , सुरेश नेगी कलम सिहं गुंसाई , चन्द्र किरण राणा , शांति भट्ट , समीर मुन्डेपि , सौमेश बुदकोटि , प्रभात डन्ड्रियाल , विनोद अस्वाल , अमर सिहं , सुदेश सिहं , सुरेश कुमार , जगमोहन रावत आदि मौजूद रहे।

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