दून घाटी के संरक्षण को लेकर शहीद स्मारक से शुरू किए गए दून डायलॉग अभियान में दूनवासियों से लिए जाएंगे बेहतर बनाने के सुझाव…अभिनव थापर – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

दून घाटी के संरक्षण को लेकर शहीद स्मारक से शुरू किए गए दून डायलॉग अभियान में दूनवासियों से लिए जाएंगे बेहतर बनाने के सुझाव…अभिनव थापर

देहरादून

देहरादून में शनिवार को दून घाटी जनसंघर्ष समिति ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी परिषद के साथ कचहरी स्थित “शहीद स्मारक” में शहीद आंदोलनकारियों को नमन कर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए”दून डायलॉग” अभियान का शुभारंभ किया गया।

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य दून घाटी का संरक्षण और दून घाटी को पहले की तरह बेहतर देहरादून पूर्नस्थापित करने हेतु जन जागरण करना, जनता की समस्यओं व उनके समाधानों पर कार्य करने का होगा।

दून डायलॉग की सभा को कचहरी परिसर में स्थित शहीद स्थल पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए दून घाटी जनसंघर्ष समिति के अध्यक्ष अभिनव थापर ने कहा की आज देहरादून ने अपनी पुरानी चमक खो दी है, उन्होंने बताया की एक समय पहले देहरादून अपनी लीची, बासमती चावल, चाय बागान व अन्य बेहतरीन चीज़ों के लिए जाना जाता था लेकिन आज देहरादून में जगह जगह कूड़े के ढेर लगे है। देहरादून आज भारत में Top 10 Polluted शहरों में आता है फिर भी सरकार ने दून घाटी अधिसूचना 1989 को निष्क्रिय कर दिया है जिसकी रक्षा के लिए मैने PMO को पत्र दिया है।

इस पत्र के क्रम में प्रधान मंत्री कार्यालय हस्तक्षेप के बाद MoEF ने अभी अग्रेतर कार्यवाही रोक दी है, मगर कब तक? रोज दून डायलॉग के जरिये देहरादून व आस पास के क्षेत्रों में आम जनता को हो रही समस्याओं हेतु समाधान हेतु सुझाव भी लिए जाएंगे और आने वाले समय में दून घाटी जनसंघर्ष समिति द्वारा हस्ताक्षर अभियान व विभिन्न जनजागरूकता अभियानों के माध्यम से आम जनता को इस मुहीम से जोड़ा जाएगा और सभी दूनघाटी वासियों के साथ मिलकर इस मुहीम को आगे बढ़ाएंगे।

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी ने कहा की पहले हमने उत्तराखंड बचाने की लड़ाई लड़ी थी और अब हम दून डायलॉग के माध्यम से दून घाटी बचाने की लड़ाई लड़ेंगे।

सिटिजन फ़ॉर ग्रीन दून के अध्यक्ष हिमांशु अरोड़ा ने कहा कि अभी हमने संघर्ष करके 200 पेड़ बचाये दिलाराम मार्च से किन्तु भविष्य में दून डायलॉग के माध्य्म से हमको संगठित होकर अनियोजित विकास ने नाम पर हजारों पेड़ों के कटान को रोकना होगा।

SDC के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने कहा कि पर्यावरण को जनजागरण से जोड़ना होगा और राजनीतिक पार्टियों को भी हरित एजेंडे पर काम करना होगा। उन्होंने तथ्यों के साथ देहरादून दून घाटी पर भविष्य में आने वाले खतरे से चेताया।

हिमालय बचाओ संस्था के अध्यक्ष समीर रतूड़ी ने कहा कि इकोलॉजी आधारित विकास पर जोर देने से ही दून घाटी और उत्तराखंड का भला हो सकता है।दून डायलॉग को दून घाटी के बाद पूरे प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में कार्य करने की सलाह दी।

कर्मचारी महासंघ के पूर्व अध्यक्ष दिनेश भंडारी ने कहा कि बड़ी मात्रा में वन भूमि को परियोजनाओं के लिए उजाड़ा जा रहा है अतः दून डायलाग से इस विषय को भी आगे बढ़ाना है।

ऋषिकेश से आए जयेंद्र रमोला ने कहा कि ऋषिकेश में प्रदूषण की मात्रा दिन-ब-दिन बढ़ रही है, गंगा किनारे लोग अतिक्रमण कर रहे है और ये दून घाटी अधिसूचना हटने से तो भारतवर्ष व हिन्दू धर्म की ऐतिहासिक नगरी ऋषिकेश का अस्तित्व ही खतरे में आ जायेगा।

अधिकवक्ता संदीप चमोली ने कहा कि अब राज्य बने 24 साल हो गए हैं अतः देहरादून और उत्तराखंड बचाने की लड़ाई हम दून डायलॉग के माध्यम से करेंगे।

डोईवाला से मोहित उनियाल ने कहा राज्य सरकार पर दून घाटी एक्ट 1989 को भी खत्म करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा की दून घाटी अधिसूचना 1989 में 1 फरवरी 1989 को दून घाटी क्षेत्र को पर्यावरण मुक्त व अन्य पर्यावरण के विषय पर संवेदनशील होने के कारण इसको छेड़ना दून घाटी के भविष्य के लिये खतरनाक होगा।

उन्होंने कहा कि दून डायलॉग का अभियान डोईवाला और आसपास के क्षेत्रों में भी चलाया जाएगा।

वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी उर्मिला शर्मा ने कहा कि विकासनगर और आसपास के क्षेत्रों में अनियोजित खनन हो रहा है जिससे दून घाटी को विगत कुछ वर्षों में बहुत नुकसान हुआ है।

राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने अपने संबोधन में कहा कि दून डायलॉग को हम देहरादून के 100 वार्डों से लेकर विकासनगर, मसूरी, ऋषिकेश और डोईवाला तक कार्यक्रम का विस्तार करेंगे जिससे जनजागरण द्वारा समस्याओं के समाधान पर चर्चा हो।

आमसभा के सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा की हम देहरादून, मसूरी, सहसपुर, डोईवाला, ऋषिकेश , विकासनगर और आसपास का क्षेत्र जो दून घाटी के अंतर्ग्रत आता है उसको बचाने की लड़ाई हम हर स्तर पर लड़ेंगे। प्रधान मंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद भी यदि उत्तराखंड सरकार जाग नही रही है तो ये राज्य सरकार का दुर्भाग्यपूर्ण रवैया है, उत्तराखंड में पहले ही रैणी, जोशीमठ, उत्तरकाशी और टिहरी बांध के आसपास व अन्य कई इलाकों में कई बार आपदा आ चुकी है और Seismic Zone 4 और Fault Lines से लैस दून घाटी में पहले से ही अत्यधिक जनसंख्या का दबाव है जिससे आए दिन पर्यावरण में बदलाव हो रहा है अतः हमारा डबल इंजन सरकार से निवेदन है की इस दून घाटी क्षेत्र के पर्यावरण की रक्षा की ओर कार्य किए जाएं।

कार्यक्रम का संचालन दून घाटी जनसंघर्ष समिति के अध्यक्ष अभिनव थापर ने किया और कार्यक्रम में जगमोहन सिंह नेगी, हिमांशु अरोड़ा, अनूप नौटियाल, जयेंद्र रमोला, मोहित उनियाल, समीर रतूड़ी, संदीप चमोली, प्रदीप कुकरेती, विजय लक्ष्मी काला, सरिता जुयाल, दिनेश भंडारी, उर्मिला शर्मा, पूरन सिंह लिंगवाल, जया सिंह, आदि अन्य गणमान्य नागरिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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