सर्वे ऑफ इंडिया ने विज्ञान दिवस पर छात्रों की सर्वेक्षण से जुड़ी नई पुराने उपकरणों और भावी योजनाओं की जानकारी दी

देहरादून

दून के सर्वेटमी ऑफ इंडिया के जीपीओ परिसर में ज्यांडीय एवं अनुसंधान शाखा, निदेशालय व यू केडीबीसी निदेशालय भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा सयुक्त रूप से राष्ट्रीय विज्ञान-दिवस का आयोजन किया गया। जिसका शीर्षक विकसित भारत हेतु स्वदेशी तकनीक था।

मौके पर बताया गया कि भारतीय सर्वेक्षण विभाग सबसे पुराना वैज्ञानिक विभाग है जो राष्ट्र के मानचित्रण हेतु उत्तरदायी है। इसने राष्ट्र के स्थायी भविष्य के उददेश्य से विभिन्न विकास परियोजनाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने लगभग सभी जल-विद्युत परियोजनाओं उसे रिहद बाघ टिहरी परियोजना, गनेरी माली आदि के लिए भू-स्थानिक ढांचा तैयार किया था।

तीन बड़ी महत्वाकाक्षी परियोजनाएँ जिनमें विभाग कुछ वर्षों से लगा हुआ है। जैसे

स्वामित्व,एन०एम०सी०जी०, सी०ओ०आर०एस० आदि अन्तिम चरणों में है। स्वामित्व (गांवी का सर्वेक्षण व ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण) परियोजना, पंचायती राज मंत्रालय के सहयोग के साथ है। जिसका उद्‌देश्य भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा देश भर के गायों के लिए गुणवत्तापूर्ण सर्वेक्षण ग्रेड यु०एवी ०/ ड्रोन का उपयोग करके, 1:5000 पैमाने पर ग्रामीण आबादी क्षेत्र का मानचित्रण करना है। इस दिन इस परियोजना से संबंधित ड्रोन और अन्य उपकरणों को परिसर में प्रदर्शित किया गया। एन०एम०सी०जी० (स्वच्छ गंगा हेतु राष्ट्रीय मिशन) परियोजना, एक एकीकृत संरक्षण मिशन है। जिसे प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और सरक्षण, तथा राष्ट्रीय नदी गंगा के प्रभावी कायाकल्प के दोहरे उद्देश्य को पूरा करने के लिए. जून 2014 में केंद्र भारकारी द्वारा ‘फ्लैगशिप प्रोचाम’ के रूप में अनुमोदित किया गया था। इस परियोजना से संबंधित विभिन्न पहलुओं की प्रगति को रंगीन चार्ट के माध्यम से दिखाया गया।

एक अन्य बड़ी परियोजना, सतत परिचालन संदर्भ तंत्र (CORS) लगभग पूरी हो चुकी है। देश के विभिन्न हिस्सों में अभी तक 1000 से अधिक ग्लोबल सैटेलाईट नेविगेशन सिस्टम (GNSS) बेस स्टेशन स्थापित किये जा चुके हैं। भारत में निर्मित नाविक (NAVIC) उपग्रहों सहित, उपग्रहों को दर्शाने वाला जीएनएसएस मॉडल छात्रों के लिए आकर्षण का केंद्र था। इस दिन का एक और आकर्षण ‘बसेवी मैमोरियल क्लोक था। यह वर्ष इस घड़ी की 150 वी वर्षगांठ है। सन् 1874 में, गुरुत्वाकर्षण वैज्ञानिक जेम्स पलाडियो बसेवी की याद में स्थापित इस घड़ी की टिक टिक अभी तक बंद नहीं हुई है। इसका रख-रखाव भारतीय तर्वेक्षण विभाग के कर्मचारियों द्वारा इतनी कुशलता से किया जा रहा है कि अब तक इसमें कोई बड़ी तकनीकी खराबी नहीं आई है। इस दिन राष्ट्रीय सर्वेक्षण संग्रहालय आगंतुकों के लिए खुला था। पुराने यंत्र/उपकरण-लेवल थियोडोलाइट, आदि संग्रहालय के मुख्य प्रदर्शन थे। आगंतुकों ने इन उपकरणों में गहरी रूचि ली। आगंतुकों को चार्ट और प्रदर्शनों आदि के बारे में समझाने हंतु भारतीय सर्वेक्षण विभग के कर्मचारी हमेशा ही मौजूद रहे।

छात्र सर्वे ऑफ इंडिया के इतिहास और विरासत के बारे में जानने को उत्सुक दिखे,वहीं प्रदर्शित / चार्टों के आधार पर, मौके पर ही प्रश्नोत्तरी भी आयोजित की गई और विजेताओं को पुरस्कार वितरित किये गये। नैन सिंह सभागार में भारतीय सर्वेक्षण विभाग से संबंधित फिल्में भी प्रदर्शित की गई।

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