पत्थरबाजी और उपद्रव के आरोपी बॉबी पंवार समेत सात युवाओं की जमानत पर सुनवाई मंगलवार को बुधवार तक के फिर टली – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

पत्थरबाजी और उपद्रव के आरोपी बॉबी पंवार समेत सात युवाओं की जमानत पर सुनवाई मंगलवार को बुधवार तक के फिर टली

देहरादून

6 फरवरी को देहरादून के घंटाघर राजपुर रोड़ पर बेरोजगार अभियर्थिओं और पुलिस के बीच हुई लाठीचार्ज और पथराव की घटना के बाद 12 लोगो के साथ गिरफ्तार किए गए बॉबी पंवार की जमानत आज नहीं हो पाई ।

आरोपी बॉबी पंवार समेत सात युवाओं की जमानत पर सुनवाई मंगलवार को फिर टल गई। अभियोजन ने पत्थरबाजी में घायल होने वाले पुलिसकर्मियों की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने के लिए अदालत से समय मांगा था। सीजेएम लक्ष्मण सिंह की अदालत ने अभियोजन को एक और दिन का समय दिया है। अब मामले की सुनवाई बुधवार को होनी है।

बताते चलें कि सोमवार को अदालत में पुलिस केस डायरी लेकर नहीं पहुची थी और इसके लिए पांच दिन का समय मांगा था। लेकिन, कोर्ट ने सिर्फ एक दिन की मोहलत देते हुए विवेचक को केस डायरी के साथ मंगलवार को उपस्थित होने के निर्देश दिए थे।

सीजीएम की कोर्ट में बॉबी समेत 13 आरोपी युवाओं की जमानत के लिए 11 फरवरी को अर्जी दी गई थी। परीक्षा को आधार बनाकर छह युवाओं की जमानत मंजूर की गई थी परंतु इन युवाओं ने बेल बॉन्ड नहीं भरा और सभी 13 लोगों की जमानत पर अड़ गए।

तब कोर्ट ने बॉबी समेत सात युवाओं की जमानत पर सुनवाई के लिए सोमवार की तिथि मुकर्रर की थी। मंगलवार को दोपहर करीब 12 बजे एसीजेएम प्रथम की कोर्ट में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट मनमोहन कंडवाल, सचिव अनिल शर्मा, रॉबिन त्यागी और शिवा वर्मा ने आरोपियों की ओर से बहस की।

अभियोजन की ओर से ज्वाइंट डायरेक्टर लॉ गिरीश पंचोली, जिला शासकीय अधिवक्ता आदि कोर्ट में आए और जमानत का विरोध किया।

बचाव पक्ष ने सातों आरोपियों की जमानत के लिए अदालत में तर्क दिया कि इनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। सभी को पुलिस ने झूठा फंसाया है। जानलेवा हमले की धारा निराधार थी। ऐसे में उसे भी हटा दिया गया है। वहीं, अभियोजन ने सुनवाई पांच दिन के लिए टालने की प्रार्थना की। कहा गया कि विवेचना अधिकारी और केस डायरी नहीं है। ऐसे में विस्तृत रिपोर्ट के लिए पांच दिन का समय चाहिए।

बचाव पक्ष ने हाईकोर्ट के सर्कुलर का आधार भी रखा। हाईकोर्ट ने किसी भी जमानत प्रार्थनापत्र को सात दिन के भीतर निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं। बचाव पक्ष का तर्क था कि अभियोजन जानबूझकर आरोपियों की जमानत को टालना चाहता है।

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