*लॉक डाउन के इस दौर में देहरादून के बारे में कुछ रोचक जानकारियां आपसे साझा करते हुए हर्ष हो रहा है ऐसी जानकारियां जो नई उम्र के किये जरूरी सी लगती हैं जबकि उनको शायद हि इसमे रुचि हो फिर भो प्रयास करना हमारा फर्ज है…सम्पादक शहीदो को नमन*
*यह शहर 1611ई* में 3005 रुपये कीमत में बिका था।
*1674ई* से पहले देहरादून का नाम पृथ्वीपुर था।
*1676ई* में मुगल सम्राट औरंगजेब ने दहरादून क्षेत्र गरुराम राय को दे दिया था।
*1757* में नजीबुदौला ने टेहरीनरेश को हराकर हासिल किया।
*1803 ई* में गोरखाओं ने देहरादून पर कब्जा किया।
*1803ई* 14 मई को खुड़बुड़ा देहरादून में गोरखा सेना लड़ते हुए गढवाल नरेश प्रद्युम्न शाह वीरगति को प्राप्त हुए थे।
*1811ई* में टिहरी नरेश सुदर्शन शाह ने कैप्टेन हरसी यंग को देहरादून हस्तगत किया।
*1814ई* में कैप्टन हरसी ने देहरादून को मात्र 100₹ मासिक लीज़ पर ईस्टइंडिया कम्पनी को दे दिया।
*1815ई* में अंग्रेजों ने गोरखों को भगाकर देहरादून हथिया लिया।
*1823 ई* में पलटन बाजार बना, इसके दोंनों तरफ पलटन रहती थी।
*1840ई* में यहां चीन से लाया लीची का पौधा लगाया गया।
*1842ई* में यहाँ अफगान शासक अमीर दोस्त द्वारा अफगानिस्तान से लायी बासमती बोई गयी।
*1842ई* में दून में डाक सेवा शुरू हुई।
*1854ई* में यहां मिशन स्कूल खोला गया।
*1857ई* में डा. जानसन द्वारा चाय बाग लगाया गया।
*1863ई* में दून स्थित शिवा ज़ी धर्मशाला में पहली बार रामलीला का विराट मंचन किया गया।
*1867ई* में यहां नगर पालिका बनी।
*1868ई* में यहां चकराता,
*1873ई* में सहारनपुर रोड़ *1892ई* में रायपुर रोड़ बनी।
*1889ई* में नाला पानी से दून को जलापूर्ति हुई।
*1901ई”* में दून रेलसेवा आरंम्भ हुई।
*1902ई* में महादेवी पाठशालाऔर *1904ई* में डीएवी कालेज आरंम्भ हुये
*1916 ई* में यहाँ विद्युत आपूर्ति शुरू हुई।
*1918ई* में यहाँ ओलम्पिया और ओरएन्ट सिनेमा घर खुले।
*1920ई* में लोगों ने यहाँ पहली बार कार देखी।
*1930ई* में देहरादून में मसूरी मोटर मार्ग बना।
*1939ई तक दून में केवल दो ही कारें थी*
*सन 1941 ईस्वी में देहरादून देहरादून के रायपुर क्षेत्र में आयुध निर्माणी की स्थापना हुई, जिसमें सन 1943 ईस्वी से उत्पादन शुरू हुआ*
*1944ई* में लाला मंन्शाराम नें 58 बीघा जमीन में कनाट-प्लेस बनवाया।
*1948ई0* में यहां प्रेमनगर और क्लेमनटाउन सिटी बस सेवा शुरू हुई।
*1948ई* से *1953ई* तक आनंदसिंह ने यहां अपने पिता बलबीर सिंह की याद में घंण्टाघर बनाया।
*1978ई* में यहाँ वायु सेवा शुरू हुई।