नन्ही दुनिया खुद में एक अनोखी दुनिया है जिसमे रहकर बहुत कुछ सीखा जा सकता है…विधान सभा अध्यक्ष प्रेमचंद

देहरादून

नन्ही दुनिया ने अपना 73 वां स्थापना दिवस समारोह मनाया।
नन्ही दुनिया की शुरुआत प्रोफेसर लेखराज उल्फत व साधना उल्फत ने एक बाल सभा के रूप में किया था।
सुबह से ही कार्यक्रम आरम्भ थे।सात्विका गोयल के नेतृत्व में नन्हे मुन्ने बच्चे शिक्षिकाएं ,समाजसेवी, मदर हाउस पर  इकट्ठा होकर प्रभात फेरी के लिए निकल पड़े बच्चों ने उगते हुए सूरज की लालीमां का अभिनंदन गायत्री मंत्र के उच्चारण से किया इसके बाद हवन और सर्व धर्म प्रार्थना भी की गई ।
शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ प्रेमचंद अग्रवाल स्पीकर उत्तराखंड ने पारंपरिक दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधान सभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल स्पीकर उत्तराखंड ने कहा कि अन्य बाल संस्थाए भी नन्ही दुनिया से सीखे कि किस तरह से विद्यार्थियों का सम्पूर्ण विकास को ध्यान में रखते हुए किताबी ज्ञान के अतिरिक्त और क्या ज्ञान दिया जा सकता है नन्ही दुनिया में मैंने अपने जीवन में ऐसी खूबसूरत प्रस्तुति नहीं देखी जो बच्चो ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुति दी है।नन्ही दुनिया खुद में एक अनोखी दुनिया है जिसमे रहकर बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर एक प्रयोग की गई खाली माचिस की डिब्बी में छोटे से छोटा सिक्का डालकर  किरण उल्फत को भेट किया जिसका मुख्य उद्देश्य है कि प्रत्येक व्यक्ति दाता हो सकता है ।एक रुपए में से एक पैसा निकाल दिया जाए तो रुपया पूरा नहीं होता इस प्रकार समाज में एक बच्चा भी उपेक्षित है तो समाज सुखी व पूर्ण नहीं हो सकता।
नन्हे बच्चों का विशेष बच्चों द्वारा किरण उल्फत गोयल द्वारा लिखित उदय हुआ सूरज नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई इससे यह संदेश दिया गया कि गांव वासी पर्यावरण प्रेमी होते हैं उनका जीवन सरल शांतिप्रिय व खुशहाल होता है। इस नाटक से गांव वासी यह भी अनुरोध करते हैं कि गांव को गांव ही रहने दिया जाए। शहर ना बनाया जाए। बच्चों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न प्रांतों के लोकगीतों को खूब सराहा गया।
इस उत्सव का मुख्य आकर्षण विविधता को दर्शाते हुए नन्ही दुनिया रंगशाला के बच्चों ने एक फ्यूजन डांस की जोरदार प्रस्तुति ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया l
जिसके अंतर्गत वेद संस्कृति के मंत्रोच्चारण, कत्थक, भारत के विभिन्न प्रांतों के लोक नृत्य जैसे पंजाब ,राजस्थान ,गुजरात ,महाराष्ट्र ,उत्तराखंड , के साथ पोलैंड,जारजिया,केन्या ,
इरान,,फिलिस्तीन ,पेरू, कोलंबिया, ईरान,कजाकिस्तान, स्लोवाकिया ,सीरिया, बेलारूस ,केन्या ,साउथ कोरिया के देशों के नृत्यओ का समावेश कर  अंतरराष्ट्रीय मंच पर  दी गई प्रस्तुति का भी प्रदर्शन किया। इस प्रस्तुति का  विशेष आकर्षण था कि हर एक कलाकार ने ढोलक ,गतका, लेजियम, भांगड़ा व सीजर का बीच-बीच में प्रदर्शन कर इस उत्सव को नया रूप दिया था। पारंपरिक वेशभूषा में सजे बच्चों ने भारत की संस्कृति की अमिट छाप छोड़ी।
हालैंड से आये तिर्ज़ा रेमको ने अपने संबोधन में कहा नन्ही दुनिया हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.