उत्तराखंड के परंपरागत मोटे अनाजो से बनने वाले भोजन को मुख्यधारा में लाने को वर्ष 2000 से इनके बीजों को संरक्षित कर प्रचलन को बढाने की कोशिश जाड़ी संस्था कर रही जो सराहनीय है… डॉ धन सिंह रावत

देहरादून

सोमवार को उत्तराखंड के साथ ही देश विदेश में रहने वाले प्रवासियों द्वारा गढ़ भोज दिवस मनाया गया।

इस वर्ष गढ़ भोज दिवस का विषय गढ़ भोज से निरोगी काया रखा गया था जिस पर स्कूल, कॉलेजों, महाविद्यालयों में निबंध प्रतियोगिता, वाद विवाद प्रतियोगिता, रैली, भाषण प्रतियोगिता आयोजित हुई।

हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी द्वारा राजकीय बालिका इंटर कॉलेज राजपुर रोड देहरादून में आयोजित कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री डा धन सिंह रावत ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

अपने संबोधन में डा धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड के परंपरागत मोटे अनाजो एवं उनसे बनने वाले भोजन को मुख्यधारा से जोड़ने को लेकर वर्ष 2000 से उत्तराखंड के कोने कोने में इनके बीजों को संरक्षित करने और इसके प्रचलन को बढाने की कोशिश जाड़ी संस्था के द्वारा किया जा रहा है जो कि एक सराहनीय प्रयास है।

उन्होंने कहा की हमारे पूर्वज मोटे अनाजों को प्रयोग करके निरोग रहते थे लेकिन समय के साथ साथ मोटे अनाज हमारे भोजन से गायब होते जा रहे है. फिर से मोटे अनाज और इससे बनने वाले उत्पादों को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही है. जिसके लिए गढ़ भोज अभियान महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। इस अवसर पर गढ़भोज को मिड डे मिल में शामिल करने के लिए मंत्री डॉ रावत का अंगवस्त्र प्रदान कर आभार व्यक्त किया।

स्कूल के बच्चों द्वारा एवं गायत्री रावत के द्वारा पारंपरिक वेशभूषा में गढ़ भोज के विभिन्न पकवानों, फसलों की प्रदर्शनी लगाई गई।

गढ़ भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा की बच्चे पढ़ते समय से इनके गुणों को जाने, साथ ही देश के अन्य लोग भी हमारी भोजन संस्कृति को जाने इस उद्देश्य से गढ़ भोज दिवस का विचार समाज और सरकार के सामने लाया गया जो धीरे धीरे सफल भी हो रहा है। लेकिन अगर स्वस्थ रहना है तो हमको अपनी थाली में इन अनाजों से बने भोजन को स्थान देना ही होगा।

इस अवसर पर बच्चो को विषय विशेषज्ञों प्रो मोहन पंवार ने कहा की जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में गढ़ भोज की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है।

सुरेश सतपती ने गढ़ भोज अभियान ने उत्तराखंड के भोजन को राष्टीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, ये फसलें और भोजन मनुष्य के शरीर के साथ मिट्टी के लिए भी लाभकारी है।

दिनेश सेमवाल ने कहा की उत्तराखंड की भोजन संस्कृति ही दुनिया को स्वस्थ रख सकती है।

गढ़ भोज दिवस का आयोजन वर्ष 2022 से किया जा रहा है। जो कि मुख्य रूप से स्कूल, कालेज, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय मेडिकल कॉलेज, अस्पतालों एवं भोजन से जुड़े लोगो के द्वारा मनाया जाता है।

इस वर्ष गढ़ भोज दिवस मनाने का आह्वान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ही पर्यावरणविद पद्म भूषण डा अनिल प्रकाश जोशी, गायक पद्मश्री प्रीतम भर्तवाण , गायक ओम बधानी, गायक इंदर आर्य, सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश सतपति, नीदर लैंड से शेफ टीका राम पंवार, हल्द्वानी से डा नवीन लोहनी सहित दर्जनों अन्य लोगो ने वीडियो संदेश जारी कर किया।

गढ़ भोज दिवस के अवसर पर लंबे समय से गढ़भोज अभियान से जुड़े लोगो को सम्मानित किया गया। जिनमे प्रो मोहन सिंह पंवार हेड जोग्राफी विभाग एचएनबी श्रीनगर,सुरक्षा रावत शिक्षक राजकीय इंटर कालेज कंडारी उत्तरकाशी, कृष्ण मोहन भट्ट,प्रवक्ता जीव विज्ञान राजकीय बालिका इंटर कॉलेज डुंडा उत्तरकाशी, डा उदय गोड एसीएफ वन विभाग,प्रो यतीश वशिष्ठ डिग्री कालेज रायपुर,गोपाल प्रकाश मिश्रा प्रवक्ता हिंदी राइंका रोंतल चिन्याली सोड़ उत्तरकाशी,प्रमोद सिंह कैन्तुरा रा प्रा विद्यालय चाका टिहरी,दिनेश सिंह रावत, सहायक अध्यापक, रा.प्रा.वि.नं.-4, ज्वालापु जनपद- हरिद्वार,नरेश बिजल्वाण स.अ.(एल.टी.) विज्ञान रा.इ.का. गालुडधार टिहरी गढ़वाल,भारती आनंद सामाजिक कार्यकर्ता देहरादून,एस एस बिष्ट,सहकारी अधिकारी देहरादून,गायत्री रावत देहरादून आदि को सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर डा अरविंद दरमोडा, माधवेंद्र रावत, सयुक्त निदेशक आनंद सिंह नेगी, मुकुल कुमार सती, प्रेमलता बोडाई, अनिरुद्ध दरमोडा, चैत राम सेमवाल, विकास पंत, सुरेश सतपति,गंगा बहुगुणा, प्रो. एमएस रावत, प्रो केडी पुरोहित, मालती हालदार आदि शामिल रहे।

देहरादून के कार्यक्रम में पर्वतीय विकास शोध केंद्र, लोक चेतना मंच, डालियों का दगड़ीया का सहयोग रहा।

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