देहरादून
प्रदेश की राजधानी में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा पुलिस अधीक्षक अपराध के पर्यवेक्षण में दो अलग-अलग टीमों का गठन कर जनपद में नशे का व्यापार करने वाले व्यक्तियों की सुरागरसी-पतारसी करने हेतु जनपद एवं जनपद से बाहरी राज्यों की एसओजी,थानां एवं स्थानीय अभिसूचना तंत्र से समन्वय स्थापित कर अभियुक्तों की गिरफ्तारी कर उनके विरूद्ध एनडीपीएस के अन्तर्गत कार्यवाही करने एंव ऐसे पंजीकृत अभियोगों की की गुणात्मक विवेचना कर मां0 न्यायालय से अभियुक्तों को अधिक से अधिक सजा दिलाने हेतु ये दिशा-निर्देश जारी किये गये…
1- ड्रग्स की आपूर्ति करने वालों की सुरागरसी-पतारसी की जाये ।
2- बाहरी राज्यों की एस0ओ0जी0 एवं सम्बन्धित थाना प्रभारियों एवं स्थानीय अभिसूचना तन्त्र से समन्वय स्थापित कर मादक पदार्थो का व्यापार करने वाले व्यक्तियों की जानकारी की जाये।
3- मादक पदार्थो की अवैध बिक्री करने वाले व्यक्तियों की गिरप्तारी के उपरान्त गुणात्मक विवेचना सम्पादित की जाये, ताकि अभियुक्तों को अधिक से अधिक सजा मिल सके ।
4- मोहल्ले/कॉलोनी में उन स्थानों को चिन्हित किया जाये] जोकि नशा करने के अड्डे की तरह प्रयोग में लाये जाते हैं ।
5- सामुदायिक (Community) पुलिसिंग का प्रयोग करते हुये आम नागरिकों से सूचना एकत्र की जाये ।
6- स्कूल के अलावा कोचिंग संस्थान/निर्धन बस्ती/सुनसान इलाके जहां नशा प्रयोग किया जाता है] उनकी जानकारी एकत्र की जाये] तद्नुसार अपेक्षित कार्यवाही अमल में लाई जाये।
7- नशे के प्रचलन से सम्बन्धित नशे में प्रयुक्त होने वाले नये-नये तरीकों/पाउच/पुड़िया/सप्लाई के तरीकों तथा नशे का सामान किन-किन रंग-रूपों में उपलब्ध हो रहा है] का अध्ययन कर इन सामाग्रियों के पैकेट की फोटोग्राफी प्राप्त कर सभी थाना प्रभारियों के साथ Share की जाये।
8- जो दुकान/मेडिकल स्टोर नशीले इंजेक्शन/कैप्सूल आदि अवैध रूप से बेचते हैं उनके विरूद्ध बीट सूचना अंकित कर आवश्यक विधिक कार्यवाही की जाये।
9- अभियुक्तों की गिरप्तारी पर इन्ट्रोगेसन रिपोर्ट तैयार की जाये ।
10- पूर्व में एन0डी0पी0एस0 एक्ट के तहत जमानत पर रिहा आरोपी/मख्य आरोपी (पेडलर) को सत्यापित करते हुये उनकी वर्तमान गतिविधियों की जानकारी की जाये ।
11- नशे का आदी यदि बच्चा है (आयु किशोर न्याय अधिनियम (जे0जे0 एक्ट) के अनुसार) तो बच्चे को पीड़ित माना जायेगा तथा जे0जे0 एक्ट के प्राविधानों के अनुरूप कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। बच्चों के सर्वोपरि हित के दृष्टिगत गोपनीयता एवं गरिमा का विशेष ध्यान रखा जायेगा ।
12- इन तथ्यों की खोज की जायेगी कि बच्चे को नशे का आदी किसने और क्यों बनाया, आवश्यकतानुसार/ विधिनुसार इन व्यक्तियों (बच्चों के अभिभावक, रिश्तेदार, दोस्त आदि ) के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही अमल में लायी जायेगी ।
13- नशे में प्रवृत्त बच्चे को अभिभावकों की सहमति (Consern) के साथ नशा मुक्ति केन्द्र अथवा जे0जे0 एक्ट के तहत बाल कल्याण समिति के समक्ष नियमानुसार/स्थितिनुसार प्रस्तुत किया जाये ।
14- यदि कोई बच्चा स्वयं नशे से सम्बन्धित आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है तो जे0जे0 एक्ट के प्राविधानों के अनुरूप बालक को विधि विवादित किशोर मानते हुये कार्यवाही अमल में लायी जायेगी ।
15- यथासम्भव विशेषज्ञ की उपस्थिति में बच्चे, उसके अभिभावक] बच्चे की संगति के व्यक्ति/लोग] दोस्त आदि की काउन्सलिंग की जाये ।
16- मा0 न्यायालयो द्वारा एन0डी0पी0एस0 एक्ट के सम्बन्ध में जारी नवीन निर्णयों का अध्ययन कर प्रासंगिक निर्णयों/प्राविधानों को सभी थाना प्रभारियों के साथ Share किया जाये।
17- अन्य राज्यों में बड़ी भारी मात्रा में हुई मादक पदार्थो की बरामदगी एवं उनकी Modus operandi का अध्ययन कर केस स्टडी के रूप में तैयार कर सभी थाना प्रभारियों के साथ Share की जाये
18- नशा मुक्ति केन्द्रों/जेलों/स्कूल/कालेज के अध्यापक एवं प्रिंसपल/एन0जी0ओ0 आदि से सम्पर्क स्थापित /भ्रमण कर लाभप्रद सूचनायें संकलित की जाये ।
19- यदि नशे के कैप्सूल आदि बरामद होते हैं] तो इससे सम्बन्धित प्रक्रिया/नियमों को समझकर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाये ।
20- जनपद में संचालित विभिन्न De-Addiction सेण्टर की सूची तैयार कर उनसे समन्वय स्थापित कर अपेक्षित सहयोग प्राप्त करते हुये पीड़ित व्यक्तियों को नशे की लत से छुड़वाने हेतु सम्बन्धित थाने के सहयोग से यथा सम्भव प्रयास करेंगे तथा समय समय पर इसकी समीक्षा की जाएगी।