देहरादून
उत्तराखंड के विभिन्न जनसंगठनों ने विधानसभा के समक्ष धरना दिया व धरना उपरांत राज्यपाल को ज्ञापन प्रस्तुत किया। धरना देने वाले संगठनों मे अंकिता भंडारी संयुक्त न्याय समिति (ऋषिकेश /देहरादून), उत्तराखंड बेरोजगार संघ, अन्ना हजारे नीत राष्ट्रीय लोक आंदोलन न्यास, उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ (पंजी0), अखिल भारतीय समानता मंच, संयुक्त नागरिक संगठन, उत्तराखंड महिला रक्षा मोर्चा, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रेफॉर्म्स एंड उत्तराखंड इलेक्शन वॉच, भू कानून संघर्ष समिति, उत्तराखंड सिविल सोसाइटी, उत्तराखंड बेरोजगार एवं युवा विकास समिति (पंजी0), देवभूमि युवा संगठन, देवभूमि भैरव सेना, सेवानिवृत कर्मचारी संगठन आदि सम्मिलित रहे।
राज्यपाल को भेजें गए विस्तृत ज्ञापन मे अंकिता भंडारी हत्याकांड पर विभिन्न कोणों से जाँच की मांग की गईं है। इसके अंतर्गत क्षेत्रीय पटवारी की संदिग्ध भूमिका को दृष्टिगत उसको अभियुक्त बनाने, घटना के लिए चर्चा मे आये रिसोर्ट को बजाए सील करने के उसपर बुलडोजरिकरण की कार्रवाई व अगजनी द्वारा साक्ष्य व सबूतों से छेड़छाड़ करने व भविष्य मे किसी जाँच को प्रभावित करने हेतु संवेेधानिक भूमिका वाले व्यक्तियों एवं अधिकारियों का संलिप्तता हेतु चिन्हिकरण करके उसपर जाँच कार्रवाई निर्गत करने, रिसोर्ट मे उन वीआईपी एवं ग्राहकों का नाम सार्वजनिक करने जिनकी अवभगत हेतु अंकिता भंडारी पर अनैतिक दबाव बनाया जाता था, ऐसे सभी वीआईपी श्रेणी व ग्राहकों एवं उनके साथ चलने वाले ड्राइवर, सिक्योरिटी एवं सहायक स्टाफ आदि के मोबाइल रिकॉर्ड जब्त करने व खंगालने, अंकिता भंडारी के पोस्टमॉर्टम की अंतरिम रिपोर्ट की रसीदगी उनके भाई व पिता को नहीं सौंपने के पीछे का कारण, घटना स्थल के आस पास के सभी एक्टिव मोबइल रिकॉर्ड जाँचने, इस घटनाक्रम से जुड़े प्रकरणों को सार्वजनिक करने वाले अहम प्रत्यक्षदृशियों जिनमें अंकिता भंडारी के लिए चिंतित रहें कर्मचारियों एवं उनके मित्रों को समुचित सुरक्षा उपलब्ध करवाने, उत्तराखंड मे संदिग्ध चरित्र वाले व्यक्तियों को राज्यमंत्री बनाये जाने की प्रक्रिया पर सवाल व ऐसे लोगों को एलआईयू द्वारा क्लीन रिकॉर्ड देने इत्यादि को प्रमुखता से रखा गया है।
खंड II मे ज्ञापन मे वर्तमान विस्मधानसभा अध्यक्ष द्वारा अवैध नियुक्तियों को रद्द करने का विषय उठाते हुए यह कथन किया गया है कि उनके द्वारा दिया गया निर्णय साहसिक रहा है। व ज्ञापन के माध्यम से मांग उठाई गईं है कि कि जितना दोषी नौकरी पाने वाले रहें थे उससे अधिक दोषी भृष्टाचार एवं भाई भतीजावद के तहत नौकरी देने व दिलवाने भी रहें हैँ। इसपर ज्ञापन मे ऐसे नेताओं व उनके कार्यधिकारीयों कार्रवाई एवं FIR दर्ज करने की मांग की गईं है।
खंड III मे ज्ञापन मे उत्तराखंड बेरोजगार संघ के द्वारा निरंतर संघर्ष से राज्यधीन सेवायोजन मे व्याप्त भृष्टाचार को उजागर करने की बात कथन की गईं है। इस खंड मे ज्ञापन मे नेता प्रतिपक्ष उत्तराखंड विधानमंडल श्री भुवन कापडी की विधानसभा के भीतर मुद्दे को उठाने की सराहना की गईं है।
सब के मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशन मे एसटीएफ द्वारा 45 से अधिक भृष्ट लोगों की गिरफ्तारी का स्वागत किया गया है। परन्तु एसटीएफ द्वारा भृष्ट नेताओं, नौकरशाहों एवं सफेदपोश लोगों को जाँच के दायरे मे नहीं लेने पर प्रश्नचिन्ह लगाया गया है व इस कारण से राज्यधीन सेवायोजन मे भृष्टाचार की जाँच को नैनीताल उच्च न्यायलय के पदासीन न्यायधीश की निगरानी मे जाँच करवाने अथवा केंद्रीय अनवैष्ण ब्यूरो (सीबीआई) से जाँच की मांग की गईं है।
ज्ञापन के खंड 4 मे उत्तराखंड राज्य आंदोलन मे सर्व अग्रणीय रही महिलाओँ की भूमिका का जिक्र किया गया है। ज्ञापन मे कथन है कि उत्तराखंड मे पलायन का सबसे अधिक दंश महिलाओँ ने ही झेला है व उत्तराखंड की महिलाएं आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक रुप मे पिछडी हुई है व उनका सशक्तिकरण किया जाना आवश्यक है। इस हेतु ज्ञापन मे उत्तराखंड की महिलाओँ के लिए 30 प्रतिशत का क्षेेतिज आरक्षण का वैधानिक प्रविधान हेतु अविलम्ब “अध्यादेश (ORDINANCE)” लाये जाने की मांग की गईं है। ज्ञापन मे कामगार महिला सुरक्षा गारंटी कानून की मांग भी प्रस्तुत की गईं है।
राज्यपाल को धरना उपरांत भेजे गए ज्ञापन को वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी “सैनिक शिरोमणि” मनोज ध्यानी द्वारा पढ़
कर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी डिवीज़नल मैजिस्ट्रेट मायादत्त जोशी द्वारा ग्रहण किया गया।
इससे पूर्व विधानसभा के समक्ष धरना स्थल पर ही जनसभा भी आयोजित की गईं जिसमें विभिन्न समाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया।
जनसभा मे विचार रखने वालों मे श्रीमती द्वारिका बिष्ट, सेवानिवृत ब्रिगेडियर कृषण गोपाल बहल, मनोज ध्यानी,भोपाल सिँह चौधरी, सुमन देवशाली, सुरेन्द्र सिँह नेगी,अंकित धनई, त्रिलोक सिँह नेगी, हेमा रावल, लुसून टोडरिया, पूजा चमोली, आरती राणा, दीपक करगेती, प्रदीप कुकरेती, वैष्णवी शर्मा, आरती नेगी, संदीप खत्री आदि प्रमुख रहें।
इस दौरान सभा मे नारेबाजी की गईं व जनगीत भी गये गए।