वसन्त पंचमी यानी प्रकृति के प्राकृतिक श्रृंगार की शुरुआत – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

वसन्त पंचमी यानी प्रकृति के प्राकृतिक श्रृंगार की शुरुआत

देहरादून

वसंत को ऋतुओं यानी मौसमों का राजा कहा जाता है। इसे प्यार का मौसम भी कहते हैं, क्योंकि धरती इस मौसम में खूबसूरत फूलों का श्रंगार करती है। इस दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में कई उत्सव मनाने का भी रिवाज है। वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है और बच्चों की पढ़ाई का आरंभ भी किया जाता है। आन्ध्र प्रदेश में इसे विद्यारंभ पर्व कहते हैं। यहां के बासर सरस्वती मंदिर में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।वसंत पंचमी पर विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन तुम्हारी आराधना की जाएगी। पारंपरिक रूप से देश के कई हिस्सों में इस दिन बच्‍चे को प्रथमाक्षर यानी पहला शब्‍द लिखना और पढ़ना सिखाया जाता है।
आज ही के दिन होलिका दहन के लिए पूजा करके बांस भी गाड़ा जाता है ओर परम्पराानुसार इसी स्थान पर होली को सजाया जाता है और होली के दिन यही पर इसको दहन भी किया जाता है।

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