हम सब इस बात से अनजान रहते हैं कि असली खज़ाना हमारे भीतर छुपा है सब अपने भीतर प्रभु के इस प्रेम और प्रकाश से जुड़कर सदा-सदा का आनंद पा सकते हैं… राजिंदर सिंह महाराज

देहरादून

सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख संत राजिन्दर सिंह महाराज के प्रवचन में दुनिया भर के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

महाराज का देहरादून के सुभाष नगर स्थित मानव केन्द्र में दो दिन का आध्यात्मिक सत्संग व नामदान का दो दिवसीय कार्यक्रम आज से शुरू हो गया है।

बताया गया कि 8 साल बाद विश्व-विख्यात आध्यात्मिक गुरु संत राजिन्दर सिंह महाराज के देहरादून पधारने पर हजारों की संख्या में लोग एकत्रित हुए। इससे पूर्व वे फरवरी, 2015 में देहरादून आए थे।

संत राजिन्दर सिंह महाराज ने आध्यात्मिक इतिहास से भरपूर और परम संत कृपाल सिंह महाराज की दिव्य और अविस्मरणीय यादों से भरे मानव केन्द्र में एक बार पुनः आने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

कार्यक्रम की शुरुआत माता रीटा द्वारा गुरु अर्जुन देव की रब्बी वाणी से गाए गए ”झिम झिम बरसै अमृतधारा“ (धीरे-धीरे, बूंद-बूंद करके अमृत की धारा हमारे भीतर बहती है।) शबद से हुई। उसके पश्चात संत राजिन्दर सिंह महाराज ने अपनी दिव्यवाणी में समझाया कि आनंद और सदा-सदा की खुशी को हम ध्यान-अभ्यास के द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।

संत राजिन्दर सिंह महाराज ने मानव केन्द्र में हजारों की संख्या में एकत्रित लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि हम सब खुश और आनंदित रहना चाहते हैं। हालांकि हम जीवन की बाहरी गतिविधियों में खुशी को तलाशते हैं और इस बात से अनजान रहते हैं कि असली खज़ाना हमारे भीतर छुपा हुआ है। हमारा मन हमें यह विश्वास दिलाता है कि भ्रम की बाहरी दुनिया वास्तविक है लेकिन यह हमें सच्चाई से दूर रखती है। हम सभी आत्माएं पिता-परमेश्वर के प्रेम और प्रकाश से भरी हुईं हैं। हमारा वास्तविक सार प्रभु का दिव्य-प्रेम और सौंदर्य है। हम सब अपने भीतर प्रभु के इस प्रेम और प्रकाश से जुड़कर सदा-सदा का आनंद पा सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि हममें से प्रत्येक के अंदर प्रेम, शांति और आनंद के दिव्य खज़ाने छुपे हुए हैं। जब हम एक पूर्ण आध्यात्मिक गुरु से दीक्षा प्राप्त करके नियमित रूप से ध्यान-अभ्यास करते हैं तो हमारे भीतर शांति और आनंद का ़द्वार खुल जाता है और हमारा मन शांत हो जाता है। पिता-परमेश्वर के नाम का मधुर अमृत हमारी आत्मा के रोम-रोम में समा जाता है। जिससे कि हम अपने भीतर सदा-सदा का आनंद और शांति का अनुभव करते हैं। जिसका प्रभाव सिर्फ उस समय तक ही नहीं बल्कि लंबे समय तक हमारे साथ रहता है। उन्होंने कहा कि जब हम अपने भीतर शांति और आनंद का अनुभव करते हैं तो हमसे यह शांति दूसरों तक भी जाती है। जिससे कि हमारे आस-पास के सभी लोगों में खुशी और शांति फैलती है और वे भी शांत होना शुरू हो जाते हैं।

संत राजिन्दर सिंह महाराज ने सभी से ध्यान-अभ्यास में ज्यादा से ज्यादा समय देने और आध्यात्मिक प्रवचनों के माध्यम से पिता-परमेश्वर की याद करने पर जोर दिया। जिससे कि हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य प्रभु-प्राप्ति इसी जीवन में पूरा हो सके। संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के सत्संग कार्यक्रम में सिर्फ देहरादून से ही नहीं बल्कि भारत के विभिन्न राज्यों के हजारों लोगों के अलावा विदेशों से आए भाई-बहनों ने भी भाग लिया।

यह संत राजिन्दर सिंह जी महाराज की देहरादून में सातवीं यात्रा है, जिसका पूरी संगत को बेताबी से इंतजार था। उनके दिव्य-दर्शन और आत्मा को उभारने वाले सत्संग ने सारे वातावरण को प्रभु-प्रेम और दिव्यता के गहरे रंग में रंग दिया। जिसके द्वारा सभी ने अपने अंदर आध्यात्मिक उभार को अनुभव किया।

संत राजिन्दर सिंह महाराज गैर-लाभकारी संगठन सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख हैं, जिसे पूरे विश्व में आध्यात्मिक विज्ञान के रूप में भी जाना जाता है। संत राजिन्दर सिंह जी महाराज का जीवन और कार्य लोगों को मनुष्य जीवन के मुख्य उद्देश्य को खोजने में मदद करने के लिए प्रेम और निःस्वार्थ सेवा की एक लगातार चलने वाली यात्रा के रूप में देखा जा सकता है। पिछले 34 वर्षों से उन्होंने जीवन के सभी क्षेत्र के लाखों लोगों को ध्यान-अभ्यास की विधि सिखाकर उन्हें उनके वास्तविक स्वरूप यानि आत्मिक रूप से जुड़ने में मदद की है। उनका संदेश आशा, प्रेम, मानव एकता और निःस्वार्स्थ सेवा का संदेश है।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ध्यान-अभ्यास की एक सरल विधि सिखाने के लिए पूरी दुनिया में यात्रा करते हैं, जिसका अभ्यास स्त्री हो या पुरुष, बीमार हो या स्वस्थ, चाहे वह किसी भी उम्र, धर्म व जाति का हो, कर सकता है। इस विधि को ‘सुरत शब्द योग’ या ‘प्रभु की ज्योति और श्रुति का मार्ग’ भी कहा जाता है।

उन्हें ध्यान-अभ्यास पर आधारित सेमिनारों और पुस्तकों के माध्यम से लाखों लोगां को ध्यान-अभ्यास सिखाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। उनकी प्रमुख पुस्तकें ‘डिटॉक्स द माइंड, ‘मेडिटेशन एज़ मेडिकेशन फॉर द सोल’ और ‘ध्यान-अभ्यास के द्वारा आंतरिक और बाहरी शांति’ प्रमुख हैं। उनकी कई डीवीडी, ऑडियो बुक और आर्टिकल्स, टीवी, रेडियो और इंटरनेट पर उपलब्ध हैं।

संत राजिन्दर सिंह महाराज को विभिन्न देशों द्वारा अनेक शांति पुरस्कारों व सम्मानों के साथ-साथ पाँच डॉक्टरेट की उपाधियों से भी सम्मानित किया जा चुका है।

सावन कृपाल रूहानी मिशन के संपूर्ण विश्व में 3200 से अधिक केन्द्र स्थापित हैं तथा मिशन का साहित्य विश्व की 55 से अधिक भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है। इसका मुख्यालय विजय नगर, दिल्ली में है तथा अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय नेपरविले, अमेरिका में स्थित है।

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