देहरादून
भारत एक ऐसा देश है जहां हर चीज में देवी देवता का वास माना जाता है फिर चाहे नदी पेड़ पर्वत धरती पानी या फूल भी क्यों न हो ऐसा ही एक त्योहार देवभूमि उत्तराखण्ड में भी सदियों से मनाया जाता रहा है। जिसका नाम “फुलदेई पर्व” है ।
आइये जानते है कि फुलदेई पर्व क्यों मनाया जाता है।कहा जाता है कि एक राजकुमारी का विवाह दूर काले पहाड़ के उस पार हुआ था , जहां उसे अपने मायके की याद सताती रहती थी । वह अपनी सास से बार बार मायके भेजने और अपने परिवार वालो से मिलने की प्रार्थना करती थी किन्तु उसकी सास उसे उसके मायके नहीं जाने देती थी । मायके की याद में तड़पती राजकुमारी की एक दिन मृत्यु हो जाती है और उसके ससुराल वाले राजकुमारी को उसके मायके के पास ही दफना देते है।
कुछ दिनों के पश्चात एक आश्चर्यजनक तरीके से जिस स्थान पर राजकुमारी को दफनाया था , उसी स्थान पर एक खूबसूरत पीले रंग का एक सुंदर फूल खिल जाता है और उस फूल को “फ्योंली” नाम दे दिया जाता है और उसी की याद में पहाड़ में “फूलों का त्यौहार यानी कि फूलदेइ पर्व” मनाया जाता है और तब से “फुलदेई पर्व” उत्तराखंड की परंपरा को पहाड़ भर में मनाया जाता है |