हिमेटोपोट्रिक स्टैमसेल ट्रांसप्लांट पर वर्कशॉप 27 फरवरी को…एम्स निदेशक रविकान्त

देहरादुन,/ऋषिकेश अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋ​षिकेश में 27 फरवरी को डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन व डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल ओंकोलॉजी हेमेटाेलॉजी के संयुक्त तत्वावधान में हेमेटोपोइटिक स्टैमसेल ट्रांसप्लांट विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। जिसमें देशभर के विभिन्न मेडिकल संस्थानों व एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार के साथ ही भारत में रक्त की अनेक प्रकार की बीमारियों का उपचार व शोध भी होने लगा है। उन्होंने बताया कि रक्त से जुड़ी ऐसी बीमारियों जिनका दवाओं से उपचार संभव नहीं है तथा हिमेटोपोट्रिक स्टैमसेल ट्रांसप्लांट से ही सबसे बेहतर समाधान होता है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि यह सुविधा संस्थान में उपलब्ध हो चुकी है। इस दिशा में एम्स ऋषिकेश ने सिंतबर 2019 में प्रथम हेमेटोपोइटिक स्टैमसेल ट्रांसप्लांट किया था,जिसे ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग एवं मेडिकल ओंकोलॉजी हिमेटोलॉजी ने सामुहिक प्रयासों से अंजाम दिया था। निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि इसी क्रम में इस विषय पर संस्थान में प्रथम शैक्षणिक कार्य के तौर पर 27 फरवरी को कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। संस्थान की ब्लड बैंक व ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभागाध्यक्ष डा. गीता नेगी जी ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य इस विषय में वैज्ञानिक प्रगति से चिकित्सकों व विद्यार्थियों को अवगत कराना है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में संजय गांधी पीजीआई लखनऊ के प्रो. आर.के. चौधरी, टाटा मैमोरियल हॉ​स्पिटल मुंबई के डा. शशांक ओझा, हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान के डा. विकास श्रीवास्तव व डा. कुणाल दास, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के चिकित्सक डा. गीता नेगी, डा. उत्तम कुमार नाथ, डा. दलजीत कौर, डा. सुशांत कुमार मिनिया, डा. आशीष जैन बतौर मुख्यवक्ता प्रतिभाग करेंगे।

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