हरितालिका तीज व्रत क्यों,कौन रखते है इस को व्रत,कुंआरी भी रख सकती है ये व्रत – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

हरितालिका तीज व्रत क्यों,कौन रखते है इस को व्रत,कुंआरी भी रख सकती है ये व्रत

देहरादून

जानकारी..हरतालिका व्रत को हरतालिका तीज या तीजा भी कहते हैं। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र के दिन होता है। इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियाँ गौरी-शंकर की पूजा करती हैं। विशेषकर उत्तर प्रदेश के नेपाल, पूर्वांचल और बिहार में मनाया जाने वाला यह त्योहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है क्योंकि जहां करवाचौथ में चांद देखने के बाद व्रत तोड़ दिया जाता है वहीं इस व्रत में पूरे दिन निर्जल व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत तोड़ा जाता है। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को प्राप्त करती हैं।

सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन मुताबिक वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। ऐसा माना जाता है कि सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर के लिए रखा था। इस दिन विशेष रूप से गौरी−शंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं। पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित करने के साथ ही पार्वती को सुहाग का सारा चीजें अर्पित की जाती है।

उत्तराखण्ड में भी देहरादून में गोर्खाली समाज इस व्रत को बड़े ही उत्साह से मनाता रहा है गोर्खाली सुधार सभा मे विगत 15 वर्षों से धूमधाम से मनाया जा रहा है। हालांकि पिछले वर्ष इसको कोविड कारणों से सूक्ष्म रुप से मनाया गया।

व्रत में रात्रि में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर आरती की जाती है और शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी सुनाई जाती है।

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