देहरादुन/ ऋषिकेश
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के तत्वावधान में 6 मार्च को विश्व लिम्फडीमा दिवस पर इस बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए जनजागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को लिम्फडीमा नामक बीमारी के प्रति जागरुक करना व इससे बचाव के उपायों से अवगत कराना है। संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत की देखरेख में एम्स ऋषिकेश, रोटरी क्लब ऋषिकेश व लसीका शिक्षा नेटवर्क संयुक्त राज्य अमेरिका के संयुक्त तत्वावधान में विश्व लिम्फडीमा-दिवस मनाया जा रहा है। बताया गया कि इस बीमारी से अधिकांशत: ऐसे लोग ग्रसित होते हैं, जो कि घंटों एक ही स्थान पर खड़े रहते हैं। इनमें यातायात पुलिस, सिक्योरिटी, वाहनों के चालक-परिचालक आदि लोग मुख्यरूप से शामिल होते हैं।
चिकित्सकों ने बताया कि अधिक समय तक एक ही स्थान पर खड़े रहकर अपना कार्य करने वाले लोगों के पैरों की नसें कमजोर पड़ने लगती हैं और इसी कमजोरी की वजह से इनके पैरों में नसों के गुच्छे बनकर बाहर की ओर उभरने लगते हैं। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि 6 मार्च 2021 को विश्व लिम्फडीमा दिवस पर संस्थान में कार्यरत इस बीमारी से ग्रसित सिक्योरिटी गार्डों व मरीजों को स्टॉकिंग वितरित की जाएगी। उन्होंने बताया कि इसे पैरों में पहनने से इस बीमारी के मरीजों को काफी हद तक दर्द व सूजन में आराम मिलेगा। संस्थान के प्लास्टिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष डा. विशाल मागो ने बताया कि संस्थागत स्तर पर लिम्फडीमा बीमारी से ग्रस्त मरीजों की जागरुकता के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इस मुहिम को अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए रोटरी क्लब आदि संस्थाओं से सहयोग लिया जा रहा है। जिससे उत्तराखंड में पैरों की नसों की बीमारी से ग्रसित मरीजों को स्वास्थ्य लाभ मिल सकेगा।
उन्होंने उम्मीद जताई कि जनमानस को संस्थागत स्तर पर किए जा रहे ऐसे प्रयासों से फायदा होगा। उन्होंने बताया कि संस्थान के बर्न एंड प्लास्टिक चिकित्सा विभाग की ओपीडी में ग्रसित मरीज प्रत्येक सप्ताह बुधवार को इस बीमारी की जांच व चिकित्सकीय परामर्श ले सकते हैं।