आंगनबाड़ी कार्यकत्री /सेविका/ मिनी कर्मचारी संगठन की प्रदेश स्तरीय बैठक रेखा नेगी जी की अध्यक्षता में प्रदेश कार्यालय देहरादून में आयोजित की गई बैठक में सरकार द्वारा दिए जा रहे फोन पर पहले से ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर चुकी रेखा नेगी ने अपनी आवाज फिर बुलंद की और कहा कि सरकार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए जीरो टोलरेंस मे लाखों का मोबाइल खरीद कर सशक्त बनाने में जुटी है और सरकार इतने कम GB वाले फोन लेकर भारत को मजबूत बनाने की बात करती है जबकि विभाग द्वारा दिए गए फोन की क्वालिटी बहुत घटिया है जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने बताया कि फोन के साथ साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ का मानसिक तनाव से भी गुजरना पड़ रहा है जिस कारण कई आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां डिप्रेशन में आ गई है और आत्महत्या करने के लिए विवश हो रही है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने सरकार से ये अपील की है हमारे कार्य को देखते हुए हमारा मानदेय 18000 रुपये किया जाय। अगर सरकार हमारे मांगों को लेकर सकारात्मक रवैया नहीं रखती है तो हमें मजबूरन धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा संगठन ने यह निर्णय लिया है कि आगामी 18 नवम्बर को पूरे प्रदेश में समस्त आगनबाडी कार्यकर्ता अपनी परियोजना में एक दिवसीय धरने के माध्यम से सरकार को अपना मांग पत्र भेजेगीं बैठक में सभी जिलों के पदाधिकारियों ने सहमति जताई। सुमति थपलियाल, मीनाक्षी रावत,मीना रावत,बीना तड़ियाल,उमेश धीमान,सरोजवाला,राज्यश्री रतूड़ी,बीना जोशी, शान्ति रमोला,बसन्ता रावत अर्चना रमोला,राजवन्ती आदि मौजूद रही।
रेखा नेगी प्रदेश अध्यक्ष उत्तराखंड कहती हैं कि उत्तराखंड में सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को फोन वितरित किए गए और इन फोन के माध्यम से आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को अपना सभी डाटा इस फोन के माध्यम से करना है और 24 घंटे की लोकेशन फोन के माध्यम से विभागीय अधिकारी प्रेस करते रहेंगे जिसको लेकर सवाल खड़े हुए हैं और जबकि यह फोन मार्केट में महल 5000 रुपये का है लेकिन विभाग द्वारा इस फोन की कीमत 7000 रुपये और पावर बैंक की कीमत 2000 रुपये अन्य सामग्री को जोड़कर टोटल 10000 रुपये का फोन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता गया है जिस पर घोटाले के आरोप भी लगे हैं और यह भी सच है की बाजार में फोन का मूल्य महज 5000 रुपये है और विभाग द्वारा 10000 रुपये कीमत बता कर यह फोन वितरित किया जा रहे हैं जबकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस फोन में एक स्पेशल सॉफ्टवेयर डाला गया है
जबकि हम आपको यह भी बता दें कि जो सॉफ्टवेयर डाला गया है जब किसी कंपनी से हम लोग 25 या 30000 फोन इकट्ठे खरीदते हैं तो वह कंपनी किसी भी सॉफ्टवेयर को फ्री ऑफ कॉस्ट अपलोड कर कर देती है लेकिन यहां तो विभागीय अधिकारी ठेकेदार कंपनी को बचाने और विभागीय अधिकारियों को बचाने पर लगी है क्योंकि इस पूरे मामले को आज प्रदेश में सभी आंगनवाड़ी देख रही है और मुद्दे को उठा रही हैं इसी क्रम में जोकि आंगनवाड़ी संगठन की प्रदेश अध्यक्ष ल रेखा नेगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार पहले महिलाओं को सशक्त बनाए और फिर उनसे मोबाइल पर कार्य कराएं क्योंकि आज हम कुपोषण को भगाने का कार्य कर रहे हैं लेकिन आज हम लोगों का ही विभाग द्वारा शोषण किया जा रहा है क्योंकि हम आपको बता दें
आंगनवाडी कार्यकत्री की लगातार ड्यूटी चाहे वह बीएलओ में हो चाहे वह टीकाकरण में हो चाहे वह अन्य जनगणना जनगणना सभी में लगा दी जाती है और अब तो यहां तक कि कहा जा रहा है कि आप दिन में अगर बीएलओ का कार्य करते हैं तो रात में अपने मोबाइल से अपनी दिन भर कि गतिविधियों काअपना डाटा एंट्री कर भेजोगे क्या 24 घंटे की ड्यूटी आंगनवाड़ियों की इस फोन के द्वारा लगा दी गई है जो एक गलत प्रक्रिया है रेखा लेकिन यहां तक भी कहा कि हम लोग एक दिन का मोबाइल डाटा बंद रखेंगे और सरकार को सांकेतिक धरने का संदेश भेजेंगे आगे सरकार हमारी बातों को फिर भी नहीं समझ पाई तो हम इसमें आंदोलन करेंगे और सरकार को हमारी बातें माननी होंगी अगर सरकार महिलाओं को सशक्त करना चाहती है तो पहले वह आंगनबाड़ियों का मानदेय बढ़ाए क्योंकि हम आपको बता दें की आंगनवाड़ी कार्यकत्री को महज 7000 रुपये ही मानदेय दिया जाता है और वह मानदेय भी कभी 3 महीने में तो कभी 5 महीने में तो कभी 6 महीने में उनको मिलता है
ऐसे में आप ही बताएं कि वह महिलाएं जो आंगनवाड़ी से जुड़ी है वह अपने बच्चों का और अपने परिवार का कैसे गुजर बसर कर सकती हैं जबकि आज के समय में प्याज के दाम भी 70 रुपये किलो है ऐसे में क्या वह अपने परिवार का गुजारा कर सकती है सरकार को चाहिए कि महिलाओं को अगर सशक्त बनाना है तो फिर मानदेय को भी बढ़ाना होगा तभी महिलाएं सशक्त हो सकती हैं क्योंकि आज अगर एक गरीब मजदूर भी मजदूरी करता है तो उसकी 1 दिन की मजदूरी 500 से 600 है और महीने की लगभग उसकी आय 12 से 15000 होती है लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकत्री को एक महा कार्य करने के बाद भी उसको महज 7000 रुपये ही मिलते हैं।