महिलाओं को नौकरी में 30 प्रतिषत आरक्षण रोक के विरोध में महिला कांग्रेस नेत्रियों की गिरफ्तारी mukddme सीएम के इशारे पर लेकिन हमारी आवाज़ दबेगी नही….ज्योति रौतेला

देहरादून

 

विगत दिवस महिलाओं को नौकरी में 30 प्रतिषत आरक्षण रोक के विरोध में प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला के नेतृत्व में महिला कांग्रेस नेत्रियों नें मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया था जिसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री के इशारे पर पुलिस द्वारा महिलाओं पर मुकदमें दर्ज किये गये।

 

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय देहरादून में आयोजित प्रेस वार्ता में प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला नें कहा की विगत दिवस महिलाओं को नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर महिला कांग्रेस नेत्रियां मुख्यमंत्री आवास अपनी बात रखनें गयी थी लेकिन मुख्यमंत्री से वार्ता ना होने पर महिलाओं नें शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करते हुए महिलाओं को नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण की मांग की।

लेकिन सरकार के इशारे पर पुलिस द्वारा बल प्रयोग कर महिलाओं के साथ दुर्रव्यवहार किया गया तथा प्रदर्शन करनें से जबरन रोका गया जिसका महिला कांग्रेस नें पुरजोर विरोध किया इसके पश्चात पुलिस द्वारा संगीन धाराओं में महिलाओं पर मुकदमें किये गये।

 

उन्होनें कहा उत्तराखण्ड महिला कांग्रेस प्रदेश की महिलाओं की हक की लड़ाई बदस्तूर जारी रखेंगी और सरकार द्वारा लादे गये मुकदमें से डरनें वाली नहीं हैं।

ज्ञातव्य हो की विगत दिवस प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती ज्योति रौतेला नें सरकार पर अदालत में कमजोर पैरवी करने का आरोप लगाया था और सरकार से सुप्रीम कोर्ट जाने की मांग की थी तथा महिलाओं को नौकरी में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण के मसले को लेकर मुख्यमंत्री से अपनी बात रखनें गयी थी।

 

उन्होनें सरकार पर हाईकोर्ट में ठीक से पैरवी न करनें का आरोप लगाते हुए कहा की सरकार सुप्रीम कोर्ट जाए या फिर इसके लिए अध्यादेश लाए।

महिलाएं मजबूती से आगे बढ़े इसके लिए उन्हें नौकरी में आरक्षण का लाभ मिलता रहना चाहिए।

 

उन्होनें कहा की उत्तराखंड की महिलाओं ने चुनौतियों का मुकाबला कर जन आंदोलनों को मुकाम तक पहुंचाया। बात चाहे स्वतंत्रता आंदोलन की हो या राज्य गठन के आंदोलन की। महिलाओं ने अपने संघर्ष से इन आंदोलन को कामयाबी दिलाई है। इसके अलावा प्रदेश में पेड़ को कटाने को रोकने के लिए चिपको आंदोलन और नशे बढ़ती प्रवृत्ति के खिलाफ भी महिलाओं ने आवाज को बुलंद किया। उत्तराखंडी महिलाएं अपने सीमित दायरे और सामाजिक रूढ़िवादिता के बावजूद हर समस्या के समाधान के लिए लड़ाई लड़ने में अग्रिम पंक्ति में रही हैं। उन्होंने अपने आंचल को हमेशा ही इंकलाबी परचम बना दिया।

 

उन्होनें कहा की स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को देखा जाए तो उत्तराखंड की नारियों ने इस आंदोलन में अहम भूमिका निभाई है। 1930 में नमक सत्याग्रह व पेशावर कांड की घटनाओं ने पहाड़ी की महिलाओं को सामूहिक रूप से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए प्रेरित किया।

 

पत्रकार वार्ता में प्रदेष उपाध्यक्ष आषा मनोरमा डोबरियाल षर्मा, चन्द्रकला नेगी, पुश्पा पंवार, राधिका शर्मा, शिवानी थपलियाल, सरोज देवराड़ी, मीना बिष्ट,अनुराधा तिवाड़ी आदि मौजूद रहीं।

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