भरत नारायण के मंदिर की परिक्रमा करने से उस भक्त को बद्रीनाथ धाम के दर्शनों का पुण्य प्राप्त होता है, यह दिव्य दर्शन बद्रीनाथ के दर्शनों के बराबर ही है,केवल अक्षय तृतीया को ही यह दर्शन प्राप्त होंते हैं

देहरादून/ऋषिकेश

शुक्रवार को अक्षय तृतीया के अवसर पर श्री भरत मंदिर झंडा चौक में हृषिकेश भरत नारायण महाराज के दिव्य अलौकिक मंदिर की परिक्रमा का महत्व बद्रीनाथ की परिक्रमा और उनके दर्शनों के बराबर है और साथ ही एक विशेष महत्व यह भी है कि वर्ष में केवल एक बार अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान श्री भरत नारायण महाराज के दिव्य चरणों के दिव्य दर्शन भक्तों को प्राप्त होते हैं।

आज ही के दिन रैम्य ऋषि ने श्री भरत मंदिर में तप द्वारा अपने इंद्रियों को वश में करके भगवान विष्णु को प्रसन्न किया था, जिस कारण इस स्थान का नाम हृषिकेश पड़ा और कालांतर में यह धीरे-धीरे ऋषिकेश नाम से जाना जाने लगा, हृषिक अर्थ होता है इंद्रियों को वश में करने वाला और ईश अर्थ है श्री विष्णु भगवान ने रैम्य मुनि को दर्शन देकर यहां पर चतुर्भुज रूप के दर्शन दिए थे, इस दिव्य मंदिर का अपना ही अलौकिक महत्व है श्री हरि विष्णु भगवान ने रैम्य ऋषि से कहा था कि जो भी भक्त मेरे इस स्थान की परिक्रमा करेगा उसे बद्रीनाथ धाम के दर्शनों का पुण्य प्राप्त होगा, तब से अब तक लगातार यह परंपरा निरंतर चली आ रही है और लाखों श्रद्धालु भगवान भरत नारायण महाराज की परिक्रमा करते हैं। इस अवसर पर भगवान भरत नारायण के प्रतिनिधि स्वरूप महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य महाराज के द्वारा विधिवत पूजन किया जाता है और साथ में मुख्य पुजारी धर्मानंद उनियाल और सुरेंद्र भट्ट तथा हर्षवर्धन शर्मा वरुण शर्मा सहित सैकड़ो श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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