कैंसर के प्रति जागरूकता जरूरी …पद्मश्री रविकान्त – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

कैंसर के प्रति जागरूकता जरूरी …पद्मश्री रविकान्त

देहरादून/ऋषिकेश अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को कैंसर बीमारी के प्रति जागरुक किया गया। इस अवसर पर विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बताया कि कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों की जानकारी व जागरुकता से इस बीमारी को मात दी जा सकती है। इस दौरान एम्स में कैंसर रोग के उपचाराधीन व इस रोग से पूरी तरह से मुक्त हो चुके बच्चों व वयस्क लोगों ने अपने अनुभव साझा किए। मंगलवार को विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर प्रात:काल वॉक का आयोजन किया गया, एम्स के गेट नंबर एक से संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने हरी झंडी दिखाकर वॉक को रवाना किया, वॉक आस्थापथ होते हुए साईं मंदिर पर संपन्न हुई। इसके बाद सांयकाल प्रशासनिक भवन स्थित लेक्चर थियेटर में जनजागरुकता के लिए सार्वजनिक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने चार प्रतिशत लोगों को आनुवांशिकतौर पर कैंसर की बीमारी होती है, जबकि 96 फीसदी लोग वातावरण अथवा शराब, तंबाकू, धूम्रपान आदि के उपयोग से कैंसर जैसी घातक बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं। एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं, लिहाजा उन्हें इसके प्रति जागरुक रहने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि गर्भाशय के कैंसर की रोकथाम के लिए वैक्सीन उपलब्ध है,जिसे 10 से 14 वर्ष की किशोरियों को अनिवार्यरूप से लगाया जाना चाहिए, साथ ही 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को चिकित्सालय में सर्विक्स कैंसर की जांच अवश्य करानी चाहिए। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि शाकाहारी लोगों व दूध का नियमित सेवन करने वाले लोगों में कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। बताया कि कैंसर का उपचार संभव है वशर्ते कि लोग उसके प्रारंभिक लक्षणों के प्रति जागरुक हों और समय पर चिकित्सक की सलाह लें व नियमित उपचार कराएं। डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने बताया कि नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज में कैंसर ही एक ऐसी बीमारी है जिसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है, जबकि शुगर, ब्लडप्रेशर आदि नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज को नियंत्रित तो किया जा सकता है,मगर पूरी तरह से दुरुस्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि परिश्रम के अभाव, ​अनियमित दिनचर्या, शराब व धूम्रपान आदि के सेवन से मुहं के कैंसर, गर्भाशय, लंग्स, ब्रेस्ट जैसे कैंसर के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता जी ने उपस्थित जनसमुदाय को विभिन्न प्रकार के कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों से अवगत कराया और ऐसे किसी भी चेतावनी संकेत मिलने पर तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सक से परीक्षण कराने की अपील की। डीन एलुमिनाई व इंटीग्रेटेड ब्रेस्ट कैंसर क्लिनिक आईबीसीसी की प्रमुख प्रोफेसर बीना रवि जी ने बताया कि कैंसर से मौतों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है, उन्होंने इसकी मुख्य वजह जागरुकता में कमी और लापरवाही को बताया। उन्होंने आगाह किया कि लोग कैंसर जैसी घातक बीमारी के प्रति सजग नहीं हुए तो वर्ष 2040 तक कैंसर से होने वाली मृत्यु दर में अप्रत्याशिततौर पर इजाफा हो सकता है। उन्होंने बताया कि भारत में अंग्रेजी हुकूमत के समय अंग्रेज शासकों ने भारतीयों को सबसे पहले कैंसर रोग से अवगत कराया और तभी कैंसर का उपचार शुरू हो पाया। इससे पहले देश में इस रोग की पहचान व उपचार की कहीं कोई व्यवस्था नहीं थी। इस अवसर पर एम्स अस्पताल में कैंसर का उपचार करा रहे मरीजों व दुरुस्त हो चुके लोगों ने अपने अनुभव साझा किए, साथ ही नन्हें मुन्हें बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर कैंसर विभाग के प्रो. एसपी अग्रवाल, प्रो. यूबी मिश्रा, प्रो. किम मेमन, प्रो. लतिका मोहन, प्रो. सत्यश्री, डा. सत्यवती राना, डा. पंकज गर्ग, डा. उत्तम कुमार नाथ, डा. ​अमित सहरावत,डा. अनु अग्रवाल, डा. रुचिका रानी आदि मौजूद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.