देहरादून
उत्तराखण्ड पुलिस भी अन्याय बर्दाश्त नही करती इसकी बानगी देखिए।
दून निवासी डॉ. पीयूष मित्तल ने 25 नवम्बर को उत्तराखण्ड के डीजीपी अशोक कुमार को शिकायती प्रार्थना पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने बताया कि 4 नवम्बर को शिवाजी धर्मशाला के पास उनके ससुर को दो व्यक्तियों ने तेजी और लापरवाही से स्कूटी से टक्कर मारकर गिरा दिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी।
इस सम्बन्ध में उनके द्वारा अभियोग पंजीकृत कराया गया था और साथ में एक दुकान से प्राप्त सीसीटीवी फुटेज भी निकाल कर दिए, जिसमें पुलिस को अभियुक्तों का फोटो भी मिल गया था। किंतु अभी तक पुलिस द्वारा किसी भी अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
डीजीपी ने इतनी गंभीर घटना होने पर भी उसका संज्ञान न लेने, अभियोग देर से पंजीकृत करने और कार्यवाही करने में विलम्ब करने पर उपनिरीक्षक सनोज कुमार को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर पुलिस अधीक्षक नगर से प्रकारण की निष्पक्ष जांच कराने हेतु वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून को निर्देशित किया है।
डीजीपी ने कहा कि अपराध के घटित होने पर पीड़ित व्यक्ति पुलिस थाने पर पुलिस से वैधानिक कार्यवाही हेतु अनुरोध करता है। पीड़ित को रिलीफ मिले इसके लिए पुलिस द्वारा विधि अनुसार तत्काल थाने पर प्राथमिकी दर्ज कर पीड़ित व्यक्ति को वैधानिक सहायता उपलब्ध कराते हुए अपराधियों के विरुद्ध तत्परता से शीघ्र कार्यवाही की जानी चाहिए। जिससे पीड़ित का पुलिस पर विश्वास बना रहे और आम जनमानस में पुलिस की सकारात्मक छवि बने।
समय-समय पर पुलिस मुख्यालय से इस सम्बन्ध में दिशा-निर्देश जारी होते रहते हैं, इसके बावजूद भी एक ऐसा दृष्टांत सामने आया है जो अत्यन्त आपत्तिजनक और अस्वीकार्य है। ड्यूटी में ढिलाई बरतने वाले पुलिसकर्मियों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता ।