नवधान्य के ‘वसुंधरा कार्यक्रम में थीम “पृथ्वी और मानवता के भविष्य का बीजारोपण” को लेकर हुए मंथन में शामिल हुए देश विदेश के पर्यावरण विद

देहरादून

नवधान्य द्वारा आयोजित ‘’वसुंधरा’’ कार्यक्रम में जैव विविधता संरक्षण केंद्र रामगढ़, देहरादून में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की थीम “पृथ्वी और मानवता के भविष्य का बीजारोपण” थी।

संस्था की डायरेक्टर और विश्व प्रसिद्ध पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. वंदना शिवा ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम प्रारम्भ किया. ऑस्ट्रेलिया से डॉ. आंद्रे लियू; इटली से डॉ. नादिया एल हेज के, कृषि संचारक और लव इकोलॉजी के संपादक दिनेश चन्द्र सेमवाल के साथ ही नवधान्य की डॉ. मीरा शिवा और सुश्री माया गोबर्धन गोबुर्धुन भी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर डॉ शिवा ने कहा, ‘’दुनिया के प्रत्येक कृषि और स्वास्थ्य संकट के पीछे औद्योगिक खेती है। वैश्विक कम्पनियाँ जहरीले गिरोह (पाइजन कार्टेल) के माध्यम से दुनिया के कौने-कौने में फ़ैलकर वहां की मिट्टी, जैव विविधता, कृषि संस्कृति और मानव स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर चुकी हैं। परिणाम स्वरुप खेतों की गुणवत्ता में ह्रास, जैव विविधता का विनाश, पोषण की कमी,स्वास्थ्य संकट और जलवायु परिवर्तन की भयावहता हमारे सामने हैं।

उन्होंने कहा कि इन सभी चिंताओं और जोखिमों का एक ही निदान है, “धरती की देखभाल” कि ऐसा करने से कृषि पारिस्थितिकी में सुधार आएगा और हमारी वसुंधरा, हमारे अनाज और हमारे भोजन पोषण से समृद्ध हो सकेंगे।

इस अवसर पर डॉ शिवा ने कहा, ‘’ मनुष्य धरती का अभिन्न अंग है। भोजन उगाना और भोजन करना एक ऐसी पारिस्थितिक प्रक्रिया है जिसमें प्रत्येक जीव भाग लेता है. यह प्रक्रिया वसुधैव कुटुंबकम को जीवंत बनाये रखती है।’’ उनका कहना था कि पारिस्थितिकी संतुलन पर आधारित जैविक खेती देशी बीजों को बढ़ावा देती है, ऐसी पुनर्योजी खेती धरती और उसके स्वास्थ्य की देखभाल करती है।

डॉ. आंद्रे लियू ने ‘’जड़ों की ओर लौटने और भविष्य के लिए बीजों के महत्त्व” पर अपना दृष्टिकोण साझा किया. कि स्वस्थ मिट्टी और जीवंत बीज धरती पर जीवन को बनाये रखने के लिए बहुत आवश्यक हैं। हमारे जीवन के लिए भोजन की आवश्यकता होती है और उन्हें बचाना और आगे बढ़ाना बहुत जरुरी है।

डॉ. नादिया एल हेज ने धरती और मानवता हेतु भविष्य के बीजारोपण पर घोषणापत्र साझा किया। उन्होंने डॉ वंदना शिवा और डॉ आंद्रे लियू के कार्यो की सराहना की और उपस्थित किसान बिरादरी द्वारा बीज, मिट्टी और जैव विविधता के संरक्षण के लिए किये जा रहे प्रयासों के प्रति उनका अभिवादन किया।

इसी क्रम में चेन्नई से डॉ. सुल्तान इस्माइल तथा कर्नाटका से श्री पांडुरंग हेगड़े – ने भारत में जैव विविधता संरक्षण और आधुनिक जैविक आंदोलन के चार दशकों के इतिहास पर प्रकाश डाला।

केरल के डॉ. जी. गंगाधरन और डॉ. सुरेश कुमार; महाराष्ट्र से सुश्री ललिता गांगुली के साथ ही सुश्री माया गोबरधन, डॉ.मीरा शिवा ने “धरती का स्वास्थ्य, हमारा स्वास्थ्य” और “जैविक, खेती हमारा भविष्य’’ विषय पर चर्चा की गई।

इस अवसर पर ‘फर्स्ट द सीड’; सीड फ्रीडम, बायोटेक्नोलॉजी, बायोसाफेटी एंड पेटेंट्स”,“वसुधैव कुटुम्बकम”,“सीड्स ऑफ़ सुसाइड टू सीड्स ऑफ होप” तथा “महाकवि विद्यापति पंडित शिव नंदन ठाकुर” पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। डॉ. वंदना शिवा ने इन पुस्तकों के बारे में संक्षेप में जानकारी दी।

विमोचन के समय एवी सिंह, कनाडा, मर्सिडीज लोपेज़, मेक्सिको, इंदु नेताम, छत्तीसगढ़, हेमा दास, गुवाहाटी, एस.राव, बेंगलुरु,उमा शंकरी नरेन, तमिलनाडु, डॉ.नरसिम्हा रेड्डी डोंथी, तेलंगाना से आए अतिथि मंच पर उपस्थित रहे।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने हस्तशिल्प एवं खाद्य पदार्थों की प्रदर्शनी के दौरान जैविक किसानों के साथ वार्तालाप की।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, और पश्चिम बंगाल से आये किसान समूहों ने लगभग 250 लोगों के समक्ष क्षेत्रीय बोली-भाषाओं के गीत प्रस्तुत किये।

Leave a Reply

Your email address will not be published.