आमतौर पर हम विकलांगता का मतलब शारीरिक रूप से लगाते हैं लेकिन मानसिक रूप से कमजोर होना भी एक तरह की विकलांगता ही है,हमको इसके प्रति जागरूक होना होगा.. डॉ.पवन शर्मा

देहरादून

रविवार को मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत अग्रणी सामाजिक संस्था फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी ने विश्व दिव्यांग दिवस पर मानसिक स्वास्थ्य की जागरूकता और बचाव के लिए कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का मुख्य प्रयोजन मानसिक विकलांगता के लिए लोगों में सम्वेदनशीलता जगाना है।

कार्यशाला में फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी के संस्थापक, अध्यक्ष और मनोवैज्ञानिक डॉ. पवन शर्मा ने कहा कि आमतौर पर विकलांगता का पर्याय हम शारीरिक कमी से लगाते हैं, असल में मानसिक रूप से कमजोर होना भी एक तरह की विकलांगता है। जिससे ग्रसित व्यक्ति को सामान्य जीवन जीने में कठिनाई होती है और उसका सामाजिक, अर्थिक और पारिवारिक जीवन भी बहुत अस्त व्यस्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं और समय समय पर चिकित्सकों के पास जा कर नियमित शारीरिक जाँच करवाते रहते हैं, उसी प्रकार अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और बेहतर बनाये रखने के लिए किसी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर की मदद के लिए पहल करनी चाहिए। शुरुआती परेशानी के समय प्रभावी समाधान लेकर स्थायी मानसिक विकलांगता से बचा जा सकता है,जो कि मानसिक रुग्णता और विक्षिप्तता का रूप ले लेती है। असल में हमारा शारीरिक स्वास्थ्य हमारे मानसिक स्वास्थ्य का प्रतिबिंब है। हम मानसिक रूप से जितना अधिक स्वस्थ होंगे हमारे शरीर उतना अधिक स्वस्थ दशा में रहेंगे और उनमें रोगों और संक्रमणों से प्रतिरोध करने की अधिक क्षमता होगी। आज जिस तरह से हम जल्दी और आसानी से किसी संक्रमण का शिकार हो जाते हैं, ये हमारी कमजोर मानसिक दशा का ही कारण है।

उन्होंने बताया कि हमारा शरीर केवल स्वस्थ रहना जनता है। इस कार्यशाला में डॉ. पवन शर्मा ने प्रतिभागियों को मानसिक व्यायाम करने के तरीके बताये और सिखाये। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी के कार्यक्रमों में मानसिक स्वास्थ्य के लिए निःशुल्क परामर्श और थेरपी की सेवाएं प्राप्त कर सकता है। इस कार्यशाला में भूमिका भट्ट शर्मा, सुनिष्ठा सिंह, राहुल भाटिया, एडवोकेट कुलदीप भारद्वाज ने भी अपना सहयोग दिया।

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