देहरादून/ऋषिकेश
स्पेक्स देहरादून द्वारा आयोजित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद भारत सरकार के सहयोग से विज्ञान संवाद कार्यक्रम का आयोजन पंड़ित ललित मोहन शर्मा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ऋषिकेश में किया कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर सरस्वती वंदना से किया गया।
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. गुलशन ढिंगरा द्वारा इस कार्यक्रम के लिए सभी का उत्साह वर्धन किया।
स्पेक्स व विज्ञान संवाद के विषय में जानकारी डॉ. हरि राज सिंह द्वारा दी गई। विज्ञान संवाद कार्यक्रम विभिन्न स्कूल कॉलेजों में चलाया जा रहा है। इन विज्ञान संवाद कार्यक्रमों का उद्देश्य विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को विज्ञान में रुचि एवं विज्ञान के प्रति उपजे भय को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे की छात्र अपने अध्ययन व अपने दैनिक जीवन में विज्ञान विषय को समाहित कर सकें।
स्पेक्स द्वारा इस विज्ञान संवाद कार्यक्रम में विज्ञान के विभिन्न विधाओं के जानकार विषयों विषय विशेषज्ञ व वैज्ञानिकों द्वारा छात्र-छात्राओं को अपने-अपने विषय से संबधित जानकारी दी जा रही है।
विषय विशेषज्ञ डॉ हरि राज सिंह द्वारा कृषि व मिट्टी की जाँच से सम्बधित जानकारी देते हुए छात्राओं को बताया कि मिट्टी में ऐसे कौन-कौन से तत्व होते हैं, जिनके कारण मिट्टी उपजाऊ होती है। इनमें से कोई भी तत्व कम या ज्यादा होने पर मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर प्रभाव पड़ता है जो फसल के खराब होने का कारण भी बनते हैं। उनके द्वारा कृषि में वैज्ञानिक आधुनिक तकनीकी व प्रौद्योगिकी अपना कर हम अपनी कृषि को और
अधिक उन्नत बना सकते हैं।
डॉ. आर. के. मुखर्जी ने अपने संवाद में आपदा प्रबंधन से संबंधित जानकारी पर चर्चा करते हुए बताया कि आपदा कई प्रकार से आ सकती हैं व इनके आने का कोई निक्ष्चित समय नहीं होता बाढ़, आग, सुखा पड़ना, चक्रवाती तूफान, पहाड़ों के गिरना व धसना आदि सभी आपदाओं के प्रकार हैं। उनके द्वारा बताया गया कि कुछ आपदाएं मानव जनित व कुछ प्राकृतिक होती हैं। इन आपदाओं के कारण जहां एक ओर मानव जीवन तो अस्त-व्यस्त होता ही है वहीं दूसरी ओर पशु- पक्षी व हमारे पर्यावरण पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
डॉ बालेंदु जोशी द्वारा मौसम विज्ञान की बारिकियों पर प्रकाश डालतें हुऐ मौसम सम्बंधित उपकरणों के प्रयोग की विधि को सांझा किया। जिसमें वर्षा मापने, हवा की गति, बादल बनने की प्रक्रिया व वर्षा के होने के विज्ञान को छात्राओं को बताया गया।
नीरज उनियाल द्वारा किशोरावस्था में किशोर-किशोरियों में शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक बदलवों व संतुलित आहार को कई उदाहरणों के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया।ऊर्जा सरक्षण एल. ई. डी. व उससे बनने वाले उत्पादों के विषय में राम तीरथ मौर्या द्वारा विस्तार से बताया गया कि एक एल.ई.डी. बल्ब बनाने में बहुत कम लागत के साथ कम समय भी लगता है। उनके द्वारा बल्ब को बनाने का तरीका भी छात्र- छात्राओं को प्रयोगात्मक तरीके से सिखाया गया। साथ ही झालर बनाना, सोलर लाइट, आदि को बनाने की सरलतम विधि को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बनाना सिखाया गया।