यूपी और उत्तराखंड में मंत्री और कई बार के विधायक रहे केदार सिंह ने दून में ली अंतिम सांस,प्रदेश में शोक की लहर

देहरादून

 

पूर्व कैबिनेट मंत्री और कई बार के भाजपा विधायक रहे केदार सिंह फोनिया का शुक्रवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है।

 

फोनिया देहरादून के नेहरू कॉलोनी में रह रहे थे, जहां उन्होंने आज सुबह अंतिम सांस ली। फोनिया यूपी और उत्तराखंड के समय बद्रीनाथ सीट से विधायक रह चुके हैं। वो यूपी में कल्याण सिंह सरकार में पर्यटन राज्य मंत्री भी रह चुके थे। 1992 में अयोद्धा राम मंदिर आंदोलन के दौरान, मंदिर परिसर की जमीन अधिगृहित करने के आदेश पर बतौर पयर्टन मंत्री उन्होंने साइन किए थे। फोनिया को 2012 में भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो उन्होने भाजपा छोड़कर, उत्तराखंड रक्षा मोर्चा का दामन थाम लिया था। हालांकि 2019 में वो फिर भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने 1969 में पहली बार विधानसभा के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ा था और हार गए थे तब 1991 में विधानसभा चुनाव लड़े और यूपी में कल्याण सिंह की सरकार में पर्यटन मंत्री रहे। वर्ष 1993 और 96 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत गए थे। उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद अंतरिम सरकार में भी वे लोक निर्माण विभाग और पर्यटन मंत्री रहे। उत्तराखंड में 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की थी, लेकिन खंडूरी सरकार में वे मंत्रीमंडल में शामिल नहीं हो पाए थे।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उनके आवास पर पहुंच फोनिया को श्रद्धांजलि अर्पित की।

 

इधर, बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं उत्तरप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे केदार सिंह फोनिया के निधन पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण ने गहरा शोक व्यक्त किया है। विधानसभा अध्यक्ष ने दिवंगत आत्मा की शांति, शोकाकुल परिवार तथा समर्थकों को दु:ख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है। विधानसभा अध्यक्ष ने अपने शोक संदेश में कहा है कि पार्टी संगठन एवं राज्य के विकास में उनका योगदान हमेशा अविस्मरणीय रहेगा। वे एक समर्पित जन नेता के तौर पर सदैव याद किए जायेंगे।

 

दूसरी तरफ उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस ने भी पूर्व मंत्री केदार सिंह फोनिया के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि केदार सिंह फोनिया का आकस्मिक निधन उत्तराखण्ड राज्य एवं क्षेत्रीय जनता की अपूर्णीय क्षति है उनके निधन से राजनीति में जो स्थान रिक्त हुआ है उसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती है।

नेहरू कॉलोनी स्थित फोनिया के घर देर रात तक विभिन्न पार्टियों से जुड़े नेताओं के साथ ही अधिकारियों और शोक संवेदना प्रकट करने वालो का तांता लगा रहा।

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