जंग में अपने दोनो पैर गवां चुके नेपाल के पूर्व सैनिक ने एवरेस्ट फतह कर स्वर्ण अक्षरों से लिखाया इतिहास में अपना नाम

देहरादून/काठमांडू

नेपाल के पूर्व सैनिक ने जंग के दौरान अपने दोनो पैर खो दिए मगर कृत्रिम परों से एवरेस्ट फतेह कर पैर वाले इंसानों को मात कर दिया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अफगानिस्तान में 2010 में जंग लड़ते हुए दोनों पैरों से अशक्त हुए एक पूर्व ब्रिटिश गोरखा सैनिक ने माउंट एवरेस्ट को फतह कर दुनिया के सामने इतिहास रचकर वह कृत्रिम पैरों से दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बन चुके हैं।

शनिवार को नेपाल के अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 43 वर्षीय हरि बुधमागर ने शुक्रवार दोपहर 8848.86 मीटर ऊंची पर्वत चोटी फतह की है। पर्यटन विभाग के अनुसार ‘दोनों पैरों से अशक्त पूर्व सैनिक हरि बुधमागर ने शुक्रवार को माउंट एवरेस्ट फतह कर इतिहास रच दिया। वह इस श्रेणी में विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी फतह करने वाले पहले व्यक्ति हैं।

अधिकारियों के मुताबिक, बुधमागर ने 2010 में अफगानिस्तान युद्ध में ब्रिटिश गोरखा सैनिक के रूप में ब्रिटेन सरकार के लिए लड़ते हुए अपने दोनों पैर गंवा दिए थे। इस बीच उन्होंने 2018 में माउंट एवरेस्ट को फतह करने की अपनी योजना को स्थगित कर दिया। परंतु जब नेपाल सरकार ने एक पर्वतारोहण विनियमन पेश किया, जिसमें 2017 में एवरेस्ट सहित पहाड़ों पर चढ़ने से नेत्रहीन, डबल-एम्प्यूटी और एकल पर्वतारोहियों पर प्रतिबंध लगाया था।

इसके बाद इस प्रतिबंध के खिलाफ एक रिट याचिका दायर की गई थी और इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एक आदेश जारी कर इस नियम को हटा दिया, तब बुधमागर के इतिहास रचने का मार्ग प्रशस्त हो गया।

पर्यटन अधिकारियों के अनुसार नेपाल सरकार द्वारा इस सीजन में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए रिकॉर्ड 466 परमिट जारी किए

गए हैं। बताते चलें कि दुनिया की 10 सबसे ऊंची चोटियों में से आठ नेपाल में है और लगातार उन चोटियों पर चढ़ाई करके अलग अलग अंदाज में लोग फतेह करने का प्रयास करते हैं। जिनमे सफल होकर अपना नाम इतिहास में दर्ज करने वाले एवरेस्टेयर होड़ में लगे रहते हैं लेकिन असफल लोगो की फेहरिस्त भीं कम लंबी नही है।

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